भक्ति की अद्वितीय पराकाष्ठा को छूते हुए, 23 वर्षीय शिवानी परिहार ने एक ऐसे विवाह का संकल्प लिया है जो आधुनिक समाज में अनूठा है। वे भगवान लड्डू गोपाल से विवाह रचाने जा रही हैं। यह निर्णय समाज के कुछ वर्गों को चकित कर सकता है, लेकिन शिवानी अपनी आस्था और संकल्प के प्रति अटल हैं।
होली के पावन पर्व के समाप्त होते ही, उनके घर में इस विवाह की तैयारियां शुरू हो जाएंगी। यह समारोह न केवल उनके परिवार के लिए, बल्कि उनके समुदाय के लिए भी एक ऐतिहासिक क्षण होगा। शिवानी की इस निर्णय को लेकर उनके रिश्तेदारों में मिली-जुली प्रतिक्रिया है। कुछ लोग इसे भक्ति की अत्युच्च अभिव्यक्ति मानते हैं, जबकि अन्य इसे समझ नहीं पा रहे हैं।
भक्ति का अनुपम पथ
शिवानी अपनी भक्ति और समर्पण को लेकर अडिग हैं। उन्होंने कहा, “मीराबाई ने भी अपने प्रेम में बहुत कुछ त्याग दिया था, तो मैं क्यों नहीं? जिसने मुझे यह जीवन दिया, मैं उसे ही अपना जीवन समर्पित करना चाहती हूं।” उनकी यह बात दिखाती है कि उनका संकल्प केवल एक निमित्त नहीं, बल्कि एक गहरे आध्यात्मिक अनुभव का परिणाम है।
भगवान कृष्ण के अनन्य भक्त मीराबाई से प्रेरेरित होकर, शिवानी अपने जीवन को भी उन्हीं के चरणों में समर्पित करने की राह पर हैं। उनका कहना है कि मीराबाई की भक्ति और समर्पण ने उन्हें इस पथ पर चलने की प्रेरणा दी है। शिवानी की दृढ़ता उनके परिवार को भी प्रभावित कर चुकी है, जो अब इस विवाह को संभव बनाने में उनका समर्थन कर रहे हैं।बचपन से ही भगवान लड्डू गोपाल की अराधना में लीन शिवानी ने अपने इस अद्वितीय निर्णय को अपने माता-पिता के समक्ष रखा और उन्हें इस विवाह के लिए तैयार कर लिया। उनके माता-पिता, जो अपनी बेटी की गहरी भक्ति और समर्पण को देख चुके हैं, इस अनूठे विवाह के लिए सहमत हो गए हैं।
विवाह की धूमधाम
वृंदावन से भगवान लड्डू गोपाल की बारात लेकर शिवानी के घर आने की कल्पना, एक ऐसी घटना है जो भक्ति और आध्यात्मिकता के मिलन को दर्शाती है। इस विवाह समारोह को धूमधाम से मनाने की योजना है, जिसमें पारंपरिक रीति-रिवाजों के साथ-साथ भक्ति गीतों और नृत्य का भी आयोजन होगा। इस समारोह के माध्यम से, शिवानी अपने जीवन को भगवान के चरणों में समर्पित करने का अपना संकल्प पूरा करेंगी।शिवानी की यह कहानी न केवल उनके अटूट विश्वास और समर्पण की गाथा है, बल्कि यह हमें यह भी दिखाती है कि कैसे आधुनिक समय में
भी भक्ति और आध्यात्मिकता जीवन के सबसे महत्वपूर्ण पहलुओं में से एक बनी हुई है। इस विवाह समारोह के माध्यम से शिवानी न केवल अपने व्यक्तिगत विश्वास को प्रकट कर रही हैं, बल्कि वे एक सामाजिक संदेश भी दे रही हैं कि प्रेम, भक्ति और समर्पण की कोई सीमा नहीं होती।
उनके इस निर्णय से जहां कुछ रिश्तेदार और समाज के लोग असहमत हैं, वहीं अनेक लोग इसे अध्यात्मिक जागृति के रूप में देख रहे हैं। शिवानी का मानना है कि उनका यह कदम अन्य लोगों को भी अपनी आध्यात्मिक यात्रा में और अधिक साहसी बनने के लिए प्रेरित कर सकता है।
अनूठा विवाह: शिवानी और लड्डू गोपाल की अद्भुत जोड़ी

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