असम की डिब्रूगढ़ जेल इन दिनों चर्चा में है, जहां वारिस पंजाब दे के मुखी, अमृतपाल सिंह सहित उनके नौ साथी भूख हड़ताल पर बैठे हैं। यह कदम उन्होंने जेल प्रशासन द्वारा उनकी निजता का हनन किए जाने के विरोध में उठाया है।
डिब्रूगढ़ जेल की चिंताजनक स्थिति
अमृतपाल और उनके साथियों पर नेशनल सिक्योरिटी एक्ट (NSA) के तहत कई आरोप लगाए गए हैं। इसी कारण उन्हें डिब्रूगढ़ जेल में रखा गया है। लेकिन, अमृतपाल का आरोप है कि जेल प्रशासन ने उनके सेल, शौचालय और स्नानघरों में स्पाई-कैमरे और सीसीटीवी कैमरे लगा दिए हैं।
इस घटना की जानकारी अमृतपाल सिंह की मां, बलविंदर कौर ने साझा की। उन्होंने बताया कि उनके बेटे ने जेल प्रशासन की इस कार्रवाई के विरोध में भूख हड़ताल शुरू कर दी है। अमृतपाल ने इस विरोध के साथ ही एक और मांग रखी है कि उन्हें दूसरी जेल में शिफ्ट किया जाए।
भूख हड़ताल का यह कदम न सिर्फ उनके अपने अधिकारों के लिए लड़ाई है बल्कि यह जेल में बंद अन्य कैदियों के लिए भी एक मिसाल कायम करता है। अमृतपाल का मानना है कि जेल में कैदियों की निजता का सम्मान किया जाना चाहिए और उनके अधिकारों का हनन नहीं होना चाहिए।
इस मामले में जेल प्रशासन की ओर से अभी तक कोई स्पष्टीकरण नहीं दिया गया है। लेकिन यह घटना जेल में सुरक्षा और कैदियों के अधिकारों के बीच के संतुलन पर एक बड़ा प्रश्नचिह्न खड़ा करती है।
इस विरोध प्रदर्शन ने समाज के विभिन्न वर्गों से समर्थन प्राप्त किया है। लोगों ने सोशल मीडिया पर अमृतपाल सिंह और उनके साथियों के समर्थन में अपनी आवाज उठाई है। यह घटना न केवल जेल प्रशासन के लिए बल्कि समाज के लिए भी एक जागृति का संदेश है।
आगे चलकर इस मुद्दे का क्या परिणाम निकलेगा, यह तो समय ही बताएगा। लेकिन इसने निश्चित तौर पर जेलों में कैदियों की स्थिति और उनके अधिकारों को लेकर एक व्यापक चर्चा का मार्ग प्रशस्त किया है।