उत्तराखंड की राह पर चलते हुए असम सरकार ने भी समान नागरिक संहिता (UCC) को लागू करने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाने की घोषणा की है। सोमवार, 12 फरवरी को गुवाहाटी में एक समाचार सम्मेलन में, असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने बहुविवाह के मुद्दे पर बड़ा बयान दिया। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार बहुविवाह को अपराध की श्रेणी में लाने का कानून लाने जा रही है।
UCC: असम का नया कदम
इस कानूनी पहल के साथ, असम भारतीय राज्यों में उत्तराखंड के बाद दूसरा ऐसा राज्य बन जाएगा जिसने UCC को अपनाने की ओर कदम बढ़ाया है। मुख्यमंत्री ने यह भी स्पष्ट किया कि आदिवासी समुदायों को इस कानून से बाहर रखा जाएगा, जिससे उनकी पारंपरिक और सामाजिक मान्यताओं का सम्मान किया जा सके।
इस बिल के पास होने से असम में समान नागरिक संहिता की ओर एक मजबूत कदम उठाया जा रहा है। इससे पूरे राज्य में विवाह, उत्तराधिकार और अन्य सिविल मामलों में एक समानता सुनिश्चित होगी। इस कदम का मुख्य उद्देश्य लैंगिक समानता को बढ़ावा देना और समाज में व्याप्त विभिन्न प्रकार की असमानताओं को कम करना है।
मुख्यमंत्री सरमा ने यह भी जोर देकर कहा कि इस कानून का उद्देश्य विशेष रूप से बहुविवाह जैसी प्रथाओं पर रोक लगाना है, जिसे वे महिलाओं के प्रति अन्याय मानते हैं। इस घोषणा से असम में सामाजिक न्याय और समानता की दिशा में एक मजबूत संकेत मिलता है।
इस कदम की सराहना करते हुए, विभिन्न समाजिक संगठनों ने इसे एक प्रगतिशील कदम बताया है जो असम में समाज के सभी वर्गों के बीच समानता और न्याय सुनिश्चित करेगा। हालांकि, कुछ समूहों ने इस कानून के कुछ पहलुओं पर चिंता व्यक्त की है, खासकर आदिवासी समुदायों को इससे बाहर रखे जाने के निर्णय पर।
अंततः, असम सरकार का यह कदम समाज में व्यापक स्तर पर समानता और न्याय की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल है। इससे न केवल बहुविवाह जैसी प्रथाओं पर रोक लगेगी बल्कि यह समाज में एक समान नागरिक संहिता की ओर एक मजबूत कदम भी साबित होगा।