आगरा के एक दक्षिणपंथी संगठन ने ताज महल में हर साल होने वाले उर्स के आयोजन पर आपत्ति जताई है। इस संगठन का कहना है कि यह आयोजन राष्ट्रीय स्मारकों के संरक्षण के नियमों का उल्लंघन करता है। इसके चलते, उन्होंने आगरा की एक अदालत में इस आयोजन को रोकने की मांग की है।
आगरा कोर्ट में दायर याचिका
याचिकाकर्ता का तर्क है कि ताज महल, जो कि एक विश्व धरोहर स्थल है, में धार्मिक आयोजनों का होना उसके ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व को प्रभावित करता है। उनका कहना है कि ऐसे आयोजन से स्मारक की संरचना पर अतिरिक्त दबाव पड़ता है और इसकी देखभाल में कठिनाई होती है।
इस विषय पर स्थानीय प्रशासन और अदालत से जवाब की प्रतीक्षा है। यह मामला न केवल धार्मिक आयोजनों के आधार पर, बल्कि राष्ट्रीय स्मारकों के संरक्षण और उनके उपयोग के विषय पर भी एक व्यापक बहस को जन्म दे रहा है।
विरोधी पक्ष का कहना है कि उर्स ताज महल के मूल निवासी शाहजहां और उनकी पत्नी मुमताज़ महल की याद में मनाया जाता है और यह वार्षिक आयोजन सांस्कृतिक परंपरा का हिस्सा है। वे इसे रोकने के प्रयास को ऐतिहासिक और सांस्कृतिक मूल्यों के खिलाफ बता रहे हैं।
अदालत के फैसले की प्रतीक्षा में समाज के विभिन्न वर्गों से विभिन्न प्रतिक्रियाएं सामने आ रही हैं। एक ओर जहां दक्षिणपंथी संगठन इसे राष्ट्रीय स्मारकों के संरक्षण का मुद्दा बता रहे हैं, वहीं अन्य समुदाय इसे धार्मिक स्वतंत्रता और सांस्कृतिक परंपराओं के अधिकार के रूप में देख रहे हैं।
इस मुद्दे पर आगे क्या होगा, यह तो अदालत के फैसले पर निर्भर करता है। लेकिन, यह मामला समाज में धार्मिक स्वतंत्रता, सांस्कृतिक परंपराओं और राष्ट्रीय स्मारकों के संरक्षण के बीच के संतुलन की बहस को और गहरा देता है।