नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने रविवार को जैन धर्म के प्रमुख धार्मिक नेता आचार्य विद्यासागर महाराज के निधन पर शोक व्यक्त किया। प्रधानमंत्री ने कहा कि आने वाली पीढ़ियां उन्हें उनके समाज के प्रति अमूल्य योगदान के लिए याद रखेंगी।
एक आध्यात्मिक गुरु का अवसान
आचार्य विद्यासागर महाराज ने रविवार को छत्तीसगढ़ के राजनांदगांव जिले में स्थित चंद्रगिरि तीर्थ में अपनी अंतिम सांस ली। उन्होंने ‘सल्लेखना’ का आश्रय लिया, जो कि एक जैन धार्मिक प्रथा है जिसमें आध्यात्मिक शुद्धिकरण के लिए स्वेच्छा से उपवास उंतो मृत्यु तक किया जाता है।
आध्यात्मिक जगत में शोक की लहर
उनके निधन से जैन समुदाय सहित पूरे आध्यात्मिक जगत में शोक की लहर है। आचार्य विद्यासागर महाराज को उनके गहन ज्ञान और साधना के लिए व्यापक रूप से सम्मानित किया जाता था।
एक महान योगदान की याद
उनके जीवन काल में उन्होंने समाज को एक नई दिशा प्रदान की और आध्यात्मिक जागरूकता में अपना अमूल्य योगदान दिया। उनकी शिक्षाएँ और उपदेश समाज के हर वर्ग तक पहुंचे और उन्हें प्रेरित किया।
आचार्य विद्यासागर: एक अविस्मरणीय पथ प्रदर्शक
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के शोक संदेश में उन्होंने कहा कि आचार्य विद्यासागर महाराज का जीवन और कार्य समाज के लिए एक अविस्मरणीय प्रेरणा के रूप में रहेगा। उनकी साधना और समर्पण आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित करती रहेगी।
समाज के प्रति एक अद्वितीय योगदान
आचार्य विद्यासागर महाराज का निधन न केवल जैन समुदाय के लिए, बल्कि पूरे समाज के लिए एक बड़ी क्षति है। उनके जीवन का कार्य और समर्पण समाज के प्रति उनके अद्वितीय योगदान को दर्शाता है।
अंतिम विदाई
आचार्य विद्यासागर महाराज को उनके अंतिम समय में ‘सल्लेखना’ के माध्यम से उनकी आध्यात्मिक यात्रा की समाप्ति पर उनके अनुयायियों और समुदाय के सदस्यों ने श्रद्धांजलि अर्पित की। उनका जीवन और उनके कार्य समाज के लिए एक उदाहरण के रूप में हमेशा याद किया जाएगा।