प्रयागराज (उपासना): इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने सोशल मीडिया पर हिंदू देवता का मजाक उड़ाने वाले एक व्यक्ति के खिलाफ दायर आरोप पत्र को रद्द करने से इनकार कर दिया है। न्यायमूर्ति प्रशांत कुमार ने कहा कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता सापेक्ष है, न कि सम्पूर्ण।
न्यायालय ने बताया कि ऐसी हरकतें न केवल भावनात्मक पीड़ा पहुँचाती हैं, बल्कि देश के लोकतांत्रिक समाज की मूल विचारधारा को भी कमजोर करती हैं। न्यायपालिका के लिए यह अनिवार्य है कि वह स्पष्ट संदेश दे कि ऐसे आचरण को सहन नहीं किया जाएगा और उचित कानूनी परिणाम सुनिश्चित किए जाएंगे।
न्यायमूर्ति कुमार ने यह भी जोर दिया कि सोशल मीडिया का इस्तेमाल जनमानस को बाँटने के लिए नहीं किया जा सकता। उन्होंने कहा कि इस तरह के आचरण से न केवल व्यक्ति की गरिमा कम होती है, बल्कि यह सामाजिक सौहार्द के लिए भी हानिकारक है।
बता दें कि ओवैस खान नामक व्यक्ति द्वारा दायर याचिका को खारिज करते हुए न्यायालय ने स्पष्ट किया कि खान द्वारा सोशल मीडिया पर भगवान शिव का उपहास उचित नहीं था।