नई दिल्ली: रविवार को राज्यसभा सांसद और वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने आरोप लगाया कि प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) पूर्व झारखंड मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के खिलाफ “साक्ष्य का निर्माण” कर रहा है ताकि उन्हें जिस मामले में गिरफ्तार किया गया है, उसमें “फंसाया” जा सके।
ईडी की कस्ती में हेमंत सोरेन
सोरेन को शुक्रवार को एक विशेष पीएमएलए अदालत द्वारा रांची में ईडी हिरासत में पांच दिनों के लिए भेजा गया था। यह मामला एक कथित भूमि धोखाधड़ी से जुड़े मनी लौंड्रिंग केस से संबंधित है।
झारखंड मुक्ति मोर्चा (जेएमएम) के नेता को 31 जनवरी की रात को ईडी द्वारा मामले में सात घंटे की पूछताछ के बाद गिरफ्तार किया गया था। संघीय एजेंसी द्वारा गिरफ्तार किए जाने से पहले उन्होंने मुख्यमंत्री के रूप में इस्तीफा दे दिया था।
इस घटनाक्रम पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए, सिब्बल ने कहा कि ईडी द्वारा सोरेन के खिलाफ साक्ष्य गढ़ना उन्हें बेवजह फंसाने की कोशिश है। उन्होंने इसे राजनीतिक प्रतिशोध का एक उदाहरण बताया। सोरेन के गिरफ्तारी और ईडी हिरासत में भेजे जाने के निर्णय ने राजनीतिक और कानूनी जगत में विवाद की लहर दौड़ा दी है। विपक्षी दलों ने इसे भाजपा सरकार द्वारा विरोधियों के खिलाफ उपयोग किए जा रहे कथित राजनीतिक हथियार के रूप में आलोचना की है।
ईडी द्वारा सोरेन के खिलाफ उठाए गए कदमों की वैधता और न्यायिक प्रक्रिया पर सवाल उठाए गए हैं। कई न्यायिक विशेषज्ञों ने इस प्रक्रिया को कानूनी और नैतिक रूप से चुनौती दी है। सोरेन के समर्थकों और जेएमएम कार्यकर्ताओं ने इसे उनके नेता के खिलाफ एक अन्यायपूर्ण और मनगढ़ंत कार्रवाई के रूप में देखा है। उन्होंने न्याय की मांग की है और सोरेन के निर्दोष साबित होने की उम्मीद जताई है।
इस मामले ने भारतीय राजनीति में कानूनी प्रक्रियाओं के उपयोग और दुरुपयोग पर एक नई बहस को जन्म दिया है। यह घटनाक्रम राजनीतिक दलों और नागरिकों के बीच विश्वास और संदेह की रेखाओं को और भी स्पष्ट करता है।
कुल मिलाकर, हेमंत सोरेन के खिलाफ ईडी की कार्रवाई ने न केवल झारखंड की राजनीति में बल्कि पूरे भारत में व्यापक चर्चा और विवाद को जन्म दिया है। आगामी दिनों में, इस मामले के विकास पर सभी की नजर रहेगी।