देहरादून: बुधवार को उत्तराखंड विधानसभा ने एक महत्वपूर्ण और ऐतिहासिक कदम उठाते हुए एकसमान नागरिक संहिता (UCC) बिल को पास कर दिया। इस कदम को भाजपा शासित अन्य राज्यों के लिए एक आदर्श माना जा रहा है, जो समान विधान को लागू करने की दिशा में प्रेरित हो सकते हैं।
विपक्ष की मांग खारिज
दो दिन की बहस के बाद, विधानसभा में आवाज़ के माध्यम से UCC बिल को पास किया गया। विपक्ष द्वारा इस मसौदा विधेयक को विधानसभा की एक चुनिंदा समिति के समक्ष भेजने की मांग की गई थी, ताकि उसके प्रावधानों पर अधिक समय दिया जा सके। हालांकि, इस प्रस्ताव को खारिज कर दिया गया।
इस बिल को अब राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू की मंजूरी के लिए भेजा जाएगा। उनकी सहमति मिलने के बाद यह कानून बन जाएगा। गुजरात और असम जैसे भाजपा-शासित राज्य उत्तराखंड विधानसभा द्वारा पास किए गए UCC बिल को अपने यहाँ मॉडल के रूप में अपनाने के इच्छुक प्रतीत होते हैं।
उत्तराखंड रच रहा इतिहास
विधानसभा में इस बिल के पास होने के बाद, मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि राज्य इतिहास रच रहा है। इसे न केवल उत्तराखंड में, बल्कि पूरे भारत में एक मील का पत्थर माना जा रहा है। उन्होंने इसे राज्य के विकास की दिशा में एक बड़ा कदम बताया।
एकसमान नागरिक संहिता का मुख्य उद्देश्य समाज में समानता स्थापित करना और सभी नागरिकों के लिए एक समान कानूनी प्रावधान सुनिश्चित करना है। इससे विभिन्न धार्मिक समुदायों के बीच कानूनी विभेदों को खत्म करने की उम्मीद है।
इस बिल के पास होने का मतलब है कि उत्तराखंड ने नागरिकों के लिए एक एकीकृत और समान कानूनी ढांचे की ओर एक बड़ा कदम बढ़ाया है। यह न केवल राज्य में, बल्कि संपूर्ण देश में एक नई दिशा की ओर इशारा करता है।