उत्तराखंड विधानसभा में हाल ही में UCC (समान नागरिक संहिता) बिल का प्रस्ताव रखा गया, जिस पर कांग्रेस ने गंभीर सवाल उठाए हैं। उनका मुख्य प्रश्न है कि इस बिल के द्वारा जनजाति महिलाओं को अलग क्यों रखा गया है। इस पर भाजपा का कहना है कि यदि आवश्यकता होती है तो वे बिल में संशोधन करने को तैयार हैं।
UCC बिल का मुद्दा
यह बिल भारतीय समाज में एक समान नागरिक कानून लागू करने की दिशा में एक कदम है। इसका उद्देश्य सभी नागरिकों के लिए एक समान कानूनी प्रावधान सुनिश्चित करना है, चाहे उनका धर्म या जाति कुछ भी हो। हालांकि, कांग्रेस द्वारा उठाए गए प्रश्न ने इस बिल की समावेशिता पर प्रश्नचिन्ह लगा दिया है।
इस मुद्दे पर कांग्रेस का कहना है कि बिल में जनजाति महिलाओं के लिए विशेष प्रावधान की अनुपस्थिति समानता के उनके अधिकारों को कमजोर करती है। उनका मानना है कि इससे समाज के एक विशेष वर्ग के प्रति भेदभाव को बढ़ावा मिलेगा।
वहीं, भाजपा के प्रतिनिधियों ने इस पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि उनकी पार्टी इस बिल को लेकर खुले विचारों की है। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि यदि जनजाति महिलाओं के हितों को संरक्षित करने के लिए संशोधन की आवश्यकता होती है, तो वे इसे करने से नहीं हिचकिचाएंगे।
इस बहस के बीच, जनता की प्रतिक्रियाएं भी विविध हैं। कुछ लोग UCC को समाज में समानता लाने का एक माध्यम मानते हैं, जबकि अन्य इसे विशेष समुदायों के अधिकारों को कमजोर करने वाला मानते हैं।
इस पूरे मामले में, यह स्पष्ट है कि UCC बिल के प्रस्ताव ने न केवल विधायिका में, बल्कि समाज के विभिन्न वर्गों में भी एक गहन बहस को जन्म दिया है। आगे चलकर, इस बिल पर होने वाली चर्चाएं और निर्णय न केवल उत्तराखंड, बल्कि पूरे भारत के लिए एक मिसाल स्थापित करेंगे।