भुवनेश्वर: मंगलवार को ओडिशा विधानसभा में विवाद के चलते कई बार कार्यवाही को रोकना पड़ा। कांग्रेस विधायक दल के नेता नरसिंहा मिश्रा ने सदन के बीचों-बीच धरना दिया। उनकी मांग थी कि पुरी जिले में वेदांत समूह द्वारा प्रस्तावित विश्वविद्यालय के लिए अधिग्रहित की गई ज़मीन को किसानों को वापस किया जाए।
ज़मीन वापसी की मांग
मिश्रा ने शून्यकाल के दौरान इस मुद्दे को उठाया और स्पीकर प्रमिला मल्लिक से अनुरोध किया कि वह राज्य सरकार से कहें कि वे प्रोजेक्ट के लिए अधिग्रहित की गई ज़मीन किसानों को लौटाएं। उन्होंने यह भी दावा किया कि ज़मीन का हस्तांतरण “धोखाधड़ी” से किया गया था।
मिश्रा ने इस प्रक्रिया में शामिल अधिकारियों के खिलाफ विजिलेंस जांच की मांग भी की। उनका कहना था कि यह मामला न सिर्फ किसानों के हित का है, बल्कि यह राज्य की ज़मीन की सुरक्षा से भी जुड़ा हुआ है।
इस मुद्दे पर विधानसभा में गहन बहस हुई। विपक्षी दलों ने भी मिश्रा के धरने का समर्थन किया और सरकार से जवाबदेही की मांग की। सदन के अध्यक्ष ने सरकार से इस मामले पर विस्तृत जानकारी मांगी।
सरकार की ओर से अभी तक इस मामले में कोई स्पष्ट जवाब नहीं आया है। वेदांत समूह ने भी इस मुद्दे पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है। यह मामला ओडिशा की राजनीति में एक गरम मुद्दा बना हुआ है।
इस घटना ने न सिर्फ ओडिशा में, बल्कि पूरे देश में किसानों के अधिकारों और ज़मीन अधिग्रहण की प्रक्रियाओं पर नए सिरे से बहस को जन्म दिया है। आने वाले दिनों में इस मुद्दे पर और भी विकास होने की संभावना है।