कतर में दी गई मौत की सजा से 8 पूर्व भारतीय नौसैनिकों की रिहाई ने एक नई उम्मीद जगाई है। इन नौसैनिकों में से सात ने सोमवार की सुबह भारत की धरती पर कदम रखा। इस घटनाक्रम ने न केवल इन परिवारों में खुशियाँ लौटाई हैं, बल्कि यह भारतीय कूटनीति की एक बड़ी जीत भी है।
पूर्व नौसैनिकों ने बताया कि यदि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस मामले में हस्तक्षेप नहीं करते, तो वे आज स्वदेश वापसी की कहानी नहीं सुना पाते। इस बचाव मिशन में मोदी की सक्रिय भूमिका ने उन्हें जीवनदान दिया।
कतर में भारतीय नौसैनिकों की रिहाई
इस घटना का महत्व इसलिए भी बढ़ जाता है क्योंकि यह भारत-कतर संबंधों में एक नए अध्याय की शुरुआत करता है। नौसैनिकों की रिहाई में प्रधानमंत्री मोदी का निजी ध्यान और उनकी टीम की कड़ी मेहनत स्पष्ट रूप से दिखाई देती है। यह दर्शाता है कि कैसे राजनीतिक संकल्प और दृढ़ निश्चय से असंभव को संभव बनाया जा सकता है।
रिहाई के पीछे न केवल राजनीतिक वार्तालाप थे, बल्कि भारत और कतर के बीच हुई विभिन्न समझौतों का भी योगदान था। इनमें से एक महत्वपूर्ण समझौता था एलएनजी (लिक्विफाइड नेचुरल गैस) की आपूर्ति से संबंधित, जिसने दोनों देशों के बीच ऊर्जा सहयोग को मजबूत किया।
इस घटनाक्रम ने न केवल इन नौसैनिकों को उनके परिवारों से मिलाया, बल्कि यह भारत के विश्व स्तर पर मजबूत होते हुए राजनयिक संबंधों का प्रतीक भी बन गया है। यह दर्शाता है कि भारत कैसे अपने नागरिकों के हितों की रक्षा के लिए वैश्विक मंच पर सक्रिय और प्रभावशाली भूमिका निभा रहा है।
कतर से नौसैनिकों की इस रिहाई की घटना ने दोनों देशों के बीच एक नई समझ और सहयोग की नींव रखी है। यह घटना न केवल एक सफल राजनयिक पहल का उदाहरण है, बल्कि यह भविष्य में और अधिक सहयोगात्मक प्रयासों की संभावनाओं को भी खोलता है। नौसैनिकों की रिहाई ने न केवल उनके जीवन को बचाया, बल्कि यह द्विपक्षीय संबंधों में एक नई दिशा की ओर भी इशारा करता है।