किसान आंदोलन का आज रविवार, 18 फरवरी को छठा दिन है, जिसमें पंजाब के किसान पंजाब-हरियाणा के शंभू और खनौरी बॉर्डर पर अपनी मांगों के समर्थन में डटे हुए हैं। इस आंदोलन के दौरान, अब तक एक किसान और एक सब इंस्पेक्टर की हार्ट अटैक से मौत हो चुकी है, जो इस आंदोलन की गंभीरता को दर्शाता है।
चंडीगढ़ में मीटिंग का आयोजन
चंडीगढ़ में केंद्रीय मंत्रियों और किसान नेताओं के बीच एक महत्वपूर्ण मीटिंग का आयोजन किया गया है, जिसका उद्देश्य इस आंदोलन के समाधान की दिशा में एक कदम बढ़ाना है। इस मीटिंग में, किसान नेताओं ने अपनी मांगों को लेकर चर्चा की और सरकार से उचित समाधान की अपेक्षा की।
इस बीच, हरियाणा में दो किसान नेताओं की गिरफ्तारी ने आंदोलन को और भी तीव्र कर दिया है। किसान समुदाय इसे अपनी आवाज़ को दबाने का एक प्रयास मान रहा है, और इसके विरोध में और भी अधिक संख्या में किसान शंभू बॉर्डर पर एकत्रित हो रहे हैं।
दिल्ली कूच की तैयारी
अगर चंडीगढ़ में हो रही मीटिंग से कोई हल नहीं निकला, तो किसानों ने कल दिल्ली कूच की धमकी दी है। यह कदम उनके आंदोलन को राष्ट्रीय स्तर पर और भी अधिक प्रमुखता देगा और सरकार पर उनकी मांगों को पूरा करने के लिए दबाव बढ़ाएगा।
इस आंदोलन के मद्देनजर, किसान समुदाय और सरकार के बीच एक संवाद की स्थापना अत्यंत आवश्यक है। दोनों पक्षों को एक दूसरे की चिंताओं को समझने और एक समझौता निकालने की दिशा में काम करने की आवश्यकता है। किसानों का यह आंदोलन न सिर्फ उनके हकों के लिए है, बल्कि यह भारतीय कृषि के भविष्य को आकार देने के लिए भी महत्वपूर्ण है।
आने वाले दिनों में, इस आंदोलन का परिणाम किसान समुदाय और भारतीय समाज पर दीर्घकालिक प्रभाव डालेगा। सरकार और किसानों के बीच सकारात्मक संवाद ही इस स्थिति का समाधान प्रदान कर सकता है।