किसान समुदाय के लिए भावनात्मक और निर्णायक क्षण के रूप में, दिल्ली की ओर कूच करने का निर्णय अंतिम समय में टल गया है। 17वें दिन, किसानों के समूह ने इस बात की पुष्टि की कि वे फिलहाल दिल्ली की ओर कूच नहीं करेंगे। इसके बजाय, वे पंजाब के बठिंडा में एकत्र हुए, जहां उन्होंने 21 फरवरी को निधन होने वाले किसान शुभकरण के अंतिम संस्कार में भाग लिया।
किसान नेताओं की प्रतिक्रिया
इस दुखद घड़ी में, किसान नेता सरवण पंधेर और जगजीत डल्लेवाल ने मीडिया से बातचीत की। उन्होंने बताया कि 3 मार्च को शुभकरण की आत्मा की शांति के लिए एक अरदास का आयोजन किया जाएगा। दिल्ली कूच पर चर्चा करते हुए, उन्होंने स्पष्ट किया कि वर्तमान समय में इस पर विचार करना उचित नहीं है।
किसानों के आंदोलन का अगला कदम
किसान संघर्ष जारी रखने की दिशा में दृढ़ संकल्पित हैं। वे पंजाब-हरियाणा के शंभू और खनौरी बॉर्डर पर अपना डेरा डाले रहेंगे। उनकी मांगों में किसानों की MSP पर खरीद की गारंटी, डॉ. स्वामीनाथन कमीशन के फैसलों के अनुसार फसलों के दाम निर्धारित करना और किसान-मजदूरों के कर्ज माफी शामिल हैं।
इस विषय पर किसान नेताओं का कहना है कि जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं होती, तब तक आंदोलन जारी रहेगा। इस आंदोलन ने न केवल किसान समुदाय को, बल्कि पूरे देश को एकजुट कर दिया है, जिससे इस मुद्दे पर राष्ट्रीय स्तर पर चर्चा हो रही है।
अंततः, किसानों का दिल्ली कूच टलना और शुभकरण का अंतिम संस्कार किसान आंदोलन के गहरे भावनात्मक और राजनीतिक परिप्रेक्ष्य को दर्शाता है। आंदोलन के इस चरण में, किसान समुदाय अधिक संगठित और दृढ़ निश्चयी होकर उभरा है, जिससे उनके आंदोलन को नई दिशा और ऊर्जा मिली है।