किसान आंदोलन ने आज (17 फरवरी) अपने पांचवें दिन में प्रवेश किया, जिसमें पंजाब के किसानों ने दिल्ली की ओर अपनी मार्च को जारी रखा। इस दौरान, शंभू बॉर्डर पर उनकी दृढ़ता देखी गई। इस जनजातीय विरोध प्रदर्शन में, दुर्भाग्यवश, एक किसान और एक सब इंस्पेक्टर की मौत हार्ट अटैक से हो गई।
किसानों की उम्मीदें और संघर्ष
शंभू बॉर्डर पर एकत्रित होकर, किसानों ने न केवल एकजुटता दिखाई बल्कि यह भी संकेत दिया कि उनका आंदोलन केवल एक दिन या एक सप्ताह तक सीमित नहीं है। इस दिन, शांति के साथ उन्होंने अपने आंदोलन को व्यक्त किया, जिससे इस मुद्दे पर सरकार की नीतियों के प्रति उनकी असहमति स्पष्ट होती है।
इस बीच, पंजाब में किसानों ने एक अनोखा कदम उठाया और टोल प्लाजाओं को टोल फ्री कर दिया, जिससे यातायात में बड़ी राहत मिली। इस कार्यवाही से उन्होंने न केवल अपनी मांगों को बल दिया बल्कि आम जनता के बीच अपने समर्थन को भी मजबूत किया।
आगामी चर्चाएं और उम्मीदें
कल, केंद्र और किसानों के बीच चौथी बार मीटिंग होने जा रही है, जिसमें किसान समुदाय की मांगों पर चर्चा की जाएगी। इसके अलावा, कुरुक्षेत्र में किसान-खाप पंचायत का आयोजन भी होगा, जहां इस आंदोलन की भावी दिशा और रणनीतियों पर विचार-विमर्श किया जाएगा।
इस पूरे आंदोलन में, किसानों की एक मुख्य मांग यह रही है कि उनके हितों का संरक्षण किया जाए और उन्हें उनकी मेहनत का उचित मूल्य प्रदान किया जाए। इस बीच, सरकार ने भी अपनी तरफ से चर्चा के लिए खुलापन दिखाया है, लेकिन अभी तक किसी निष्कर्ष पर पहुंचने की सूचना नहीं है।
अंततः, इस आंदोलन का उद्देश्य किसानों के सशक्तिकरण के लिए एक समझौता तक पहुंचना है, जहां उनकी आवाज सुनी जाए और उनके हितों की रक्षा की जाए। किसानों का यह संघर्ष न केवल उनके लिए बल्कि पूरे देश के लिए एक मिसाल पेश करता है, जिसमें एकजुटता और दृढ़ संकल्प की शक्ति को दर्शाया गया है।