दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को लेकर नवीनतम विकास में, प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने उन्हें शराब नीति घोटाले के संदर्भ में सातवां समन भेजा है। यह समन 22 फरवरी को भेजा गया, जिसमें केजरीवाल को 26 फरवरी को ED के समक्ष पेश होने के लिए कहा गया है। इस निर्देश के साथ ही, राजनीतिक हलकों में हलचल मच गई है।
केजरीवाल की अनुपस्थिति पर उठे सवाल
अब तक, अरविंद केजरीवाल एक भी बार ED के समक्ष पेश नहीं हुए हैं, जिससे विपक्षी पार्टियां और आलोचक उनके इरादों पर सवाल उठा रहे हैं। आम आदमी पार्टी (AAP) ने हालांकि, इन समनों को राजनीति से प्रेरित बताया है, और इसे अपने खिलाफ एक बड़ी साजिश के रूप में देख रही है।
आतिशी का बीजेपी पर आरोप
AAP की प्रमुख नेता आतिशी ने इस मामले पर तीखी प्रतिक्रिया देते हुए कहा है कि ED के ये समन केजरीवाल और AAP को डराने के लिए भेजे गए हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि बीजेपी, चंडीगढ़ मेयर चुनाव में AAP की जीत के बाद बदला ले रही है, जहाँ सुप्रीम कोर्ट ने AAP उम्मीदवार को विजेता घोषित किया था।
राजनीतिक मोड़ लेता विवाद
ED द्वारा बार-बार समन जारी करने के निर्णय को AAP ने गैरकानूनी बताया है, खासकर जब समन की वैधता पर अदालत में मामला लंबित है। पार्टी का मानना है कि ED को अदालत के फैसले की प्रतीक्षा करनी चाहिए थी, बजाय इसके कि वे बार-बार समन जारी करें।
इस पूरे विवाद में, राजनीतिक और कानूनी पहलुओं का गहनता से आलोचना हो रही है। एक ओर जहां AAP इसे राजनीतिक प्रतिशोध के रूप में देख रही है, वहीं विपक्ष और अन्य राजनीतिक दल ED की कार्रवाई को जायज ठहरा रहे हैं। इस मामले में आगे क्या होगा, यह तो समय ही बताएगा, पर फिलहाल, यह विवाद राजनीतिक गलियारों में गर्मागर्मी का कारण बना हुआ है।