नई दिल्ली (हेमा)- पतंजलि आयुर्वेद के भ्रामक विज्ञापनों से जुड़ी कोर्ट की अवमानना को लेकर 67 अखबारों में दिए गए माफीनामे पर मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट ने पूछा, “क्या माफीनामा उतना ही बड़ा है, जितने बड़े विज्ञापन थे?” कोर्ट ने अगली सुनवाई में विज्ञापन की कटिंग लाने का निर्देश देकर कहा, “माफी मांगने का यह मतलब नहीं कि उसे माइक्रोस्कोप से देखना पड़े।”
जानकारी के अनुसार, पतंजलि आयुर्वेद के भ्रामक विज्ञापन मामले में मंगलवार (23 अप्रैल) को सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने योग गुरु बाबा रामदेव से उनके अखबारों में दिए गए सार्वजनिक माफीनामे को लेकर सवाल किया।
अदालत ने पूछा कि क्या आपका माफीनामा उतना ही बड़ा है, जितना आपने भ्रामक विज्ञापन दिया था। रामदेव से ये भी सवाल किया कि आखिर सुप्रीम कोर्ट में मामले पर सुनवाई से ठीक पहले ही सार्वजनिक माफीनामे को क्यों जारी किया गया।
बता दें कि पतंजलि आयुर्वेद ने 67 अखबारों में माफीनामे को जारी किया है। इसमें कहा गया कि भ्रामक विज्ञापन देने जैसी गलती भविष्य में दोबारा नहीं की जाएगी। साथ ही सुप्रीम कोर्ट को आश्वासन दिया गया कि वह अदालत और संविधान की गरिमा को बनाए रखने के लिए अपनी प्रतिबद्धता पर कायम है।
वहीं, सुप्रीम कोर्ट में केस की सुनवाई टल गई है। अदालत अब बाबा रामदेव और बालकृष्ण के मामले की सुनवाई 30 अप्रैल को करेगी। बाकी के सभी सात बिंदुओं पर 7 मई को सुनवाई होगी।