चंडीगढ़ की राजनीतिक गलियारों में हलचल तेज हो गई है, जब शहर के मेयर मनोज सोनकर ने अचानक अपने पद से इस्तीफा दे दिया। यह घटना रविवार देर रात को सामने आई, जिसके बाद से चंडीगढ़ भाजपा में काफी चर्चाएं हो रही हैं। भाजपा अध्यक्ष अरुण सूद ने मेयर के इस्तीफे की पुष्टि करते हुए, इसे एक बड़ा झटका बताया है।
चंडीगढ़ में सियासी दलों का दंगल
इस्तीफे के पीछे की वजहों पर अभी तक पर्दा नहीं उठा है, लेकिन यह स्पष्ट है कि चंडीगढ़ की राजनीति में बड़े बदलावों की आहट है। इस बीच, आम आदमी पार्टी (AAP) के तीन पार्षदों ने भी रविवार को भाजपा में शामिल होने का ऐलान किया, जिससे दिल्ली में राजनीतिक समीकरणों में उलझाव बढ़ गया है।
मनोज सोनकर के इस्तीफे के बाद, सोमवार 19 फरवरी को इस मामले की सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई निर्धारित है। इस सुनवाई से न केवल चंडीगढ़ की राजनीति बल्कि संभवतः राष्ट्रीय राजनीति पर भी प्रभाव पड़ सकता है।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह घटनाक्रम आने वाले चुनावों में विभिन्न दलों की रणनीति पर महत्वपूर्ण प्रभाव डाल सकता है। चंडीगढ़ भाजपा के लिए मेयर का इस्तीफा एक बड़ी चुनौती पेश करता है, जबकि AAP के पार्षदों का भाजपा में शामिल होना दिखाता है कि राजनीतिक वफादारियां कितनी चंचल हो सकती हैं।
इस राजनीतिक उथल-पुथल के बीच, चंडीगढ़ के नागरिक भी अपने शहर की राजनीतिक स्थिरता को लेकर चिंतित हैं। सोनकर के इस्तीफे और AAP पार्षदों के दलबदल से उत्पन्न होने वाले परिणामों पर सभी की नजरें टिकी हुई हैं।
सुप्रीम कोर्ट में होने वाली सुनवाई से बहुत कुछ तय होने वाला है। इससे न केवल चंडीगढ़ में बल्कि पूरे देश में राजनीतिक संदेश जाएगा। इस बीच, चंडीगढ़ के नागरिकों और राजनीतिक दलों की नजरें सुप्रीम कोर्ट की ओर लगी हुई हैं, जहां इस मामले में अंतिम फैसला सुनाया जाएगा।