नई दिल्ली: सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने “खरीद-फरोख्त” पर गहरी चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि वह मंगलवार को चंडीगढ़ मेयर चुनाव के बैलट पेपर्स और गणना की वीडियो रिकॉर्डिंग की जांच करेगा। कोर्ट ने कहा कि नए चुनाव का आदेश देने के बजाय, वह पहले से डाले गए वोटों के आधार पर परिणाम की घोषणा पर विचार कर सकता है।
भाजपा की जीत और विवाद
30 जनवरी को, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने चंडीगढ़ मेयर चुनाव जीता, जिसमें आराम से बैठे आप-कांग्रेस गठबंधन उम्मीदवार को हराया गया था। गठबंधन साथियों के आठ वोटों को निर्वाचन अधिकारी द्वारा अवैध घोषित करने के बाद, मतपत्रों में हेरफेर के आरोप लगाए गए थे।
मनोज सोनकर की जीत और इस्तीफा
भाजपा के मनोज सोनकर ने अपने प्रतिद्वंद्वी कुलदीप कुमार को 16 वोटों के मुकाबले 12 वोटों से हराकर मेयर का पद जीता। हालांकि, सोनकर ने बाद में इस्तीफा दे दिया, जबकि तीन आप पार्षद भाजपा में शामिल हो गए।
सुप्रीम कोर्ट का निर्णय
सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि वह चुनावी प्रक्रिया की पारदर्शिता और निष्पक्षता सुनिश्चित करने के लिए बैलट पेपर्स और वीडियो रिकॉर्डिंग की समीक्षा करेगा। इससे चंडीगढ़ मेयर चुनाव में उठे विवादों पर एक नई रोशनी डाली जा सकती है।
न्याय की आशा
इस जांच से चंडीगढ़ के नागरिकों को न्याय मिलने की आशा है। यह मामला न केवल चंडीगढ़ में बल्कि पूरे देश में चुनावी प्रक्रिया की साख को प्रभावित कर सकता है। सुप्रीम कोर्ट का निर्णय आने वाले समय में इस दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित हो सकता है।
भविष्य की ओर नज़र
चंडीगढ़ मेयर चुनाव के इस विवाद ने चुनावी प्रक्रियाओं में सुधार की आवश्यकता को उजागर किया है। न्यायिक जांच के परिणामस्वरूप, आने वाले चुनावों में अधिक पारदर्शिता और निष्पक्षता की उम्मीद की जा सकती है।