नई दिल्ली: लोकसभा चुनावों की पूर्व संध्या पर चुनाव आयुक्त अरुण गोयल का अचानक इस्तीफा देना आम आदमी पार्टी (आप) के लिए गंभीर प्रश्न उठाता है।
दिल्ली की कैबिनेट मंत्री आतिशी ने रविवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, “बीजेपी द्वारा नियुक्त एक आयुक्त, जिसकी नियुक्ति का बचाव बीजेपी नेतृत्व वाली केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में भी किया था, उनका लोकसभा चुनावों से ठीक पहले इस्तीफा देना पीछे के कारणों पर सवाल उठाता है।”
चुनावी मोड़ पर इस्तीफा
आतिशी ने आगे बताया कि गोयल को बीजेपी सरकार ने स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति लेने के 24 घंटे के भीतर ही चुनाव आयुक्त बना दिया था और उनका कार्यकाल 2027 तक समाप्त होना था।
इस इस्तीफे ने राजनीतिक गलियारों में हलचल मचा दी है। आम आदमी पार्टी ने इसे लोकतंत्र के लिए एक चिंताजनक संकेत बताया है।
आतिशी ने कहा, “जब एक ऐसा व्यक्ति जो सरकार के इतने करीब था, अचानक ऐसे महत्वपूर्ण समय पर इस्तीफा देता है, तो इसके पीछे के कारणों को जानना जरूरी है।”
राजनीतिक प्रतिक्रियाएँ और परिणाम
इस घटना के बाद से अन्य राजनीतिक दलों ने भी इस पर प्रतिक्रिया दी है। कई ने इसे बीजेपी के लिए एक झटका कहा है, जबकि अन्य ने इसे सामान्य प्रक्रिया का हिस्सा बताया है।
आम आदमी पार्टी ने इसे चुनावी प्रक्रिया में संभावित हस्तक्षेप के रूप में देखा है और चुनाव आयोग से इस मामले की गहराई से जांच करने की मांग की है।
इस इस्तीफे का लोकसभा चुनावों पर क्या प्रभाव पड़ेगा, यह तो समय ही बताएगा। हालांकि, यह घटना निश्चित रूप से चुनावी प्रक्रिया की निष्पक्षता और स्वतंत्रता पर नई बहस छेड़ देगी।