वाराणसी के प्रसिद्ध ज्ञानवापी परिसर से जुड़े एक महत्वपूर्ण मामले में आज, वाराणसी जिला न्यायालय ने एक बड़ा फैसला सुनाया है। इस फैसले के अनुसार, हिंदुओं को अब ज्ञानवापी परिसर के सोमनाथ व्यास जी के तहखाने में नियमित पूजा-पाठ करने का अधिकार दिया गया है। यह निर्णय न केवल धार्मिक महत्व का है बल्कि यह भारतीय अदालतों की सामाजिक-धार्मिक मामलों में संवेदनशीलता का भी प्रतीक है।
अदालत का निर्णय और प्रक्रिया
कोर्ट ने साथ ही निर्देश दिया है कि 7 दिन के भीतर तहखाने में पूजा कराने की व्यवस्था की जाए। इस फैसले को सुनने के लिए हर किसी की निगाहें अदालत पर टिकी हुई थीं, क्योंकि यह मामला काफी समय से चर्चा में था। विशेष रूप से, 1993 से व्यास जी तहखाना बंद पड़ा था, जिसके खुलने की उम्मीदें इस फैसले के साथ जगी हैं।
मामले का ऐतिहासिक पृष्ठभूमि
इस मामले की सुनवाई में हिंदू-मुस्लिम पक्षों ने अपनी-अपनी दलीलें पेश की थीं। जहां हिंदू पक्ष ने तहखाने में प्रवेश के साथ पूजा-पाठ करने की मांग की थी, वहीं मुस्लिम पक्ष ने इस पर आपत्ति जताई थी। इस फैसले के बाद, मुस्लिम पक्ष ने यह भी कहा है कि वे ASI की रिपोर्ट के आधार पर हाईकोर्ट में इस फैसले के खिलाफ अपील करेंगे।
इलाहाबाद उच्च न्यायालय की भूमिका
इसी संदर्भ में, इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने वाराणसी की अदालत द्वारा 21 अक्टूबर 2023 को सुनाए गए फैसले की पुनरीक्षण याचिका पर ज्ञानवापी मस्जिद की अंजुमन इंतेजामिया मस्जिद कमेटी को नोटिस जारी किया है। यह नोटिस न्यायमूर्ति रोहित रंजन अग्रवाल की अदालत द्वारा जारी किया गया, जो इस मामले के आगे के विकास को और भी रोचक बना देता है।
यह फैसला न केवल धार्मिक स्वतंत्रता के संदर्भ में महत्वपूर्ण है, बल्कि यह भारतीय समाज में धार्मिक सहिष्णुता और सद्भाव की दिशा में एक कदम भी माना जा सकता है। इस निर्णय के साथ, भारतीय न्याय प्रणाली ने एक बार फिर से अपनी प्रगतिशील और समावेशी चरित्र का परिचय दिया है।