रांची: झारखंड की 14 लोकसभा सीटों पर विजय पाने के लिए भाजपा नेतृत्व वाले एनडीए ने अपनी पूरी ताकत झोंक दी है, जबकि विपक्षी इंडिया ब्लॉक भी एनडीए की राह में रोड़े अटकाने के लिए अपनी कोशिशों को तेज कर रहा है। इस राजनीतिक संग्राम में कई महत्वपूर्ण मुद्दे हैं जो आगामी चुनावों के परिणामों को आकार देने में केंद्रीय भूमिका निभा सकते हैं।
नरेंद्र मोदी का प्रभावभाजपा झारखंड में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की छवि और उनकी नीतियों, विशेष रूप से लोगों को लाभ पहुंचाने वाली कल्याणकारी योजनाओं को भुनाने की पूरी कोशिश कर रही है।
हेमंत सोरेन पर कानूनी शिकंजा
झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और जेएमएम कार्यकारी अध्यक्ष हेमंत सोरेन की गिरफ्तारी आगामी लोकसभा चुनावों में एक महत्वपूर्ण मुद्दा साबित होने वाली है। जेएमएम नेतृत्व वाले झारखंड के शासक गठबंधन ने भाजपा पर राजनीतिक प्रतिशोध का आरोप लगाया है। सोरेन को 31 जनवरी को एक कथित भूमि धोखाधड़ी से जुड़े मनी लौंड्रिंग मामले में ईडी ने गिरफ्तार किया था।
कानून और व्यवस्था
झारखंड में कानून और व्यवस्था का मुद्दा भी चुनावों में एक अहम भूमिका निभाने वाला है। विभिन्न पार्टियां इस मुद्दे को लेकर एक-दूसरे पर निशाना साध रही हैं, विशेषकर ग्रामीण क्षेत्रों में जहां यह एक बड़ी चिंता का विषय है।
जनजातीय मुद्दे
जनजातीय मुद्दे झारखंड के चुनावों में हमेशा से एक महत्वपूर्ण फैक्टर रहे हैं। इस बार भी, जनजातीय समुदायों के हितों और मुद्दों को लेकर पार्टियां अपने-अपने वादे और योजनाएं प्रस्तुत कर रही हैं।
भ्रष्टाचार के आरोप
भ्रष्टाचार भी इस चुनावी महाभारत में एक मुख्य मुद्दा है। पार्टियां एक-दूसरे पर भ्रष्टाचार के आरोप लगा रही हैं, जिससे मतदाताओं के बीच एक मिश्रित प्रतिक्रिया देखने को मिल रही है।
आगामी चुनावों में, ये सभी मुद्दे जनता के समक्ष प्रमुख विकल्प के रूप में उभर रहे हैं, और इनके परिणाम स्वरूप ही झारखंड की राजनीतिक दिशा तय होगी। चुनावी मैदान में उतरी पार्टियां इन मुद्दों को लेकर अपने-अपने विजयी दावे पेश कर रही हैं, जिससे चुनावी तापमान और भी गर्म हो उठा है।