नई दिल्ली (हेमा): अप्रैल माह में थोक मुद्रास्फीति लगातार दूसरे महीने बढ़ी है, जिसका प्रतिशत 1.26 रहा। खाद्य पदार्थों, विशेष रूप से सब्जियों की कीमतों में वृद्धि, साथ ही ईंधन और ऊर्जा क्षेत्र में इजाफा इसके प्रमुख कारण रहे हैं।
पिछले वर्ष अप्रैल में थोक मूल्य सूचकांक (WPI) आधारित मुद्रास्फीति मात्र 0.79 प्रतिशत थी, जबकि मार्च 2024 में यह दर 0.53 प्रतिशत दर्ज की गई थी। वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय ने मंगलवार को एक बयान में कहा, “अप्रैल 2024 में मुद्रास्फीति की सकारात्मक दर मुख्य रूप से खाद्य लेख, बिजली, कच्चे पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस, खाद्य उत्पादों के निर्माण, अन्य निर्माण इत्यादि की कीमतों में वृद्धि के कारण है।”
वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय के अनुसार, आगामी महीनों में मुद्रास्फीति की दर में और वृद्धि की संभावना है, जिसका मुख्य कारण वैश्विक बाजारों में उतार-चढ़ाव और घरेलू उत्पादन चुनौतियां होंगी।
इस प्रकार, थोक मुद्रास्फीति की बढ़ती दर न केवल उत्पादकों बल्कि आम उपभोक्ताओं के लिए भी एक चुनौतीपूर्ण स्थिति उत्पन्न कर रही है, जिससे आर्थिक स्थिरता के लिए नई रणनीतियों की आवश्यकता है।