लाहौर: पाकिस्तान मुस्लिम लीग-एन (PML-N) के उच्चतम नेता, नवाज़ शरीफ़, जो पिछले महीने के आम चुनावों के बाद से जनता की नज़रों से दूर थे, ने पंजाब सरकार की तीन प्रशासनिक बैठकों की अध्यक्षता करके सभी को चौंका दिया है। उनका यह कदम इसलिए विवादित है क्योंकि वह न तो प्रांतीय और न ही केंद्रीय सरकार में कोई आधिकारिक पद धारण करते हैं।
नवाज़ की चर्चित उपस्थिति
तीन बार के पूर्व प्रधानमंत्री नवाज़ शरीफ़ ने सोमवार को अपनी बेटी मरियम नवाज़ के नेतृत्व में पंजाब सरकार की प्रशासनिक बैठकों की अध्यक्षता की। डॉन अखबार की रिपोर्ट के अनुसार, बैठक के बाद जारी एक आधिकारिक हैंडआउट में कहा गया है कि PML-N पार्टी के सुप्रीमो ने मंत्रियों और अधिकारियों को विभिन्न इंफ्रास्ट्रक्चर परियोजनाओं, जैसे कि अंडरग्राउंड ट्रेन और मेट्रो बस, किसानों की समस्याएँ, छात्रों के लिए इलेक्ट्रिक बाइक्स और रमजान राहत पैकेज के बारे में निर्देश दिए।
प्रशासनिक बैठकें और विवाद
नवाज़ शरीफ़ का पंजाब सरकार की प्रशासनिक बैठकों की अध्यक्षता करना राजनीतिक और प्रशासनिक हलकों में व्यापक चर्चा का विषय बन गया है। उनके इस कदम को कुछ लोगों द्वारा प्रशासनिक प्रक्रियाओं में अनाधिकारिक हस्तक्षेप के रूप में देखा जा रहा है, जबकि उनके समर्थक इसे पार्टी और सरकारी कार्यों में उनकी अभी भी मजबूत उपस्थिति के रूप में देखते हैं।
विवाद के मूल में क्या है?
नवाज़ शरीफ़ की इस अप्रत्याशित और विवादास्पद उपस्थिति ने कई सवाल खड़े किए हैं। प्रमुख रूप से, यह सवाल कि एक ऐसे व्यक्ति, जिसका आधिकारिक रूप से कोई पद नहीं है, वह कैसे सरकारी बैठकों की अध्यक्षता कर सकता है? इस घटना ने पाकिस्तान की राजनीतिक व्यवस्था में उच्च स्तरीय व्यक्तियों की भूमिका और प्रभाव पर नई बहस को जन्म दिया है।
आगे क्या हो सकता है?
नवाज़ शरीफ़ की यह उपस्थिति और उनके द्वारा दिए गए निर्देश, पंजाब सरकार और PML-N की आगामी रणनीति के लिए महत्वपूर्ण हो सकते हैं। यह देखा जाना बाकी है कि इस घटना का उनकी पार्टी और पाकिस्तान की राजनीति पर क्या प्रभाव पड़ेगा।