काठमांडू: नेपाल की सर्वोच्च अदालत ने हाल ही में भारत के साथ हस्ताक्षरित दीर्घकालिक ऊर्जा व्यापार समझौते पर सरकार से स्पष्टीकरण मांगा है। अदालत ने पूछा है कि क्या इस समझौते को संसद के बहुमत सदस्यों द्वारा अनुमोदन की आवश्यकता है।
नेपाल और भारत के बीच ऊर्जा व्यापार
नेपाल ने अगले दस वर्षों में भारत को 10,000 मेगावाट बिजली का निर्यात करने के लिए ऊर्जा व्यापार समझौता (PTA) पर हस्ताक्षर किए थे। यह समझौता भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर की हिमालयी देश की यात्रा के दौरान हुआ था।
सुप्रीम कोर्ट के एकल पीठ न्यायाधीश नहकुल सुबेदी ने मंगलवार को नेपाल सरकार के पूर्व सचिव सूर्य नाथ उपाध्याय द्वारा दायर एक रिट याचिका के जवाब में सरकार को नोटिस जारी किया। यह जानकारी सुप्रीम कोर्ट के प्रवक्ता वेद प्रसाद उप्रेति ने दी।
नेपाल की सर्वोच्च अदालत ने इस मामले में सरकार से विस्तृत जानकारी मांगी है। अदालत चाहती है कि सरकार यह स्पष्ट करे कि संसद के बहुमत द्वारा इस समझौते का अनुमोदन आवश्यक है या नहीं।
इस नोटिस के जारी होने के बाद, नेपाल सरकार को इस मामले पर अपनी प्रतिक्रिया देने के लिए निर्धारित समय दिया गया है। यह विकास नेपाल में राजनीतिक और ऊर्जा क्षेत्रों में व्यापक चर्चा का विषय बना हुआ है।
सरकार और नेपाल की जनता के बीच इस समझौते को लेकर विवादों की स्थिति बनी हुई है। कुछ लोग इसे देश के लिए एक सकारात्मक कदम के रूप में देख रहे हैं, जबकि अन्य इसे संप्रभुता के मुद्दे पर चिंता का विषय मान रहे हैं।
नेपाल और भारत के बीच इस ऊर्जा समझौते का भविष्य अब नेपाल की सर्वोच्च अदालत की प्रतिक्रिया और सरकार के जवाब पर निर्भर करेगा। इस घटनाक्रम से दोनों देशों के बीच ऊर्जा सहयोग के संबंध में महत्वपूर्ण प्रगति हो सकती है।