जालंधर (राघव): पंजाब के 13 संसदीय क्षेत्रों में से जालंधर लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र है। इस क्षेत्र का नाम महाभारत काल के एक राक्षस के नाम पर रखा गया। यह क्षेत्र ऐतिहासिकता को अपने में समेटे हुए है। यहां पर पर्यटकों के लिए कई मंदिर, गुरूद्वारे और संग्रहालय हैं। इस क्षेत्र में चमड़े और खेल के सामान का उत्पादन बड़ी मात्रा मे होता है। इस बार जालंधर में चौतरफा मुकाबला देखने को मिल रहा है। ये अपने आप में काफी दिलचस्प दिलचस्प बनता जा रहा है, जहां एक पूर्व मुख्यमंत्री समेत तीन राजनीतिक दलबदलु इस अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित सीट पर जीत हासिल करने की जद्दोजहद में हैं।
बता दें कि साल 2023 में हुए उपचुनाव में यहां से आम आदमी पार्टी ने (आप) जीत दर्ज की थी। सुशील कुमार रिंकू जीतकर संसद तक पहुंचे थे। उससे पहले यहां कांग्रेस के सांसद चौधरी संतोख सिंह थे। जिनकी राहुल गांधी द्वारा 2023 जनवरी में निकाली जा रही भारत जोड़ो यात्रा के दौरान मौत हो गई थी। इस चुनाव की बात की जाए तो अब राजनीतिक समीकरण बेहद बदले हुए नजर आ रहे हैं। सुशील कुमार रिंकू अब ‘आप’ से ‘भाजपा’ में पहुंच चुके हैं। ‘आप’ ने यहां से अकाली दल से ‘आप’ मे शामिल हुए पवन कुमार टीनू को टिकट दिया है।
कांग्रेस ने भी बड़ा दांव खेलते हुए यहां से पूर्व मुख्यमंत्री व चमकौर साहिब से विधायक रह चुके चरणजीत सिंह चन्नी को उम्मीदवार बनाया है। तो अकाली दल ने कांग्रेस का हाथ छोड़कर अकाली दल को पकड़ने वाले महिंदर सिंह के पी को मैदान में उतारा है।
वैसे तो जालंधर सीट को आमतौर पर कांग्रेस का गढ़ माना जाता है। यहाँ की नुमाइंदगी कभी इंदर कुमार गुजराल ने की थी, जो देश के 12वें प्रधानमंत्री भी रह चुके हैं। आगे बढ़ते हुए, यह देखना दिलचस्प होगा कि जालंधर के मतदाता इस बार किसे अपना समर्थन देते हैं और किसके हाथों में अपने क्षेत्र की बागडोर सौंपते हैं।
इस सीट पर मुकाबला रोचक होने के साथ-साथ काफी कठिन भी रहने वाला है, क्योंकि प्रत्याशी न केवल अपने पुराने समर्थकों को बरकरार रखने की कोशिश कर रहे हैं, बल्कि नए मतदाताओं को भी अपनी ओर आकर्षित करने की चुनौती झेल रहे हैं।