नई दिल्ली: केंद्रीय मंत्री पशुपति कुमार पारस ने मंगलवार को इस्तीफा दे दिया और बिहार में लोकसभा चुनावों के लिए सहयोगियों के साथ सीट-शेयरिंग सौदे में अपनी राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी को शामिल न करने पर भाजपा पर “अन्याय” का आरोप लगाया।
पशुपति पारस का भविष्य अज्ञात
पारस की घोषणा भाजपा-नेतृत्व वाले एनडीए द्वारा अपना सीट-शेयरिंग पैक्ट घोषित करने और चिराग पासवान की अगुवाई वाली एलजेपी (राम विलास) को पांच सीटें देने के एक दिन बाद आई।
उन्होंने प्रेस कॉन्फ्रेंस में अपने इस्तीफे के बारे में संक्षिप्त टिप्पणियां की और अपनी भविष्य की योजनाओं के बारे में विस्तार से नहीं बताया।
यह घटनाक्रम बिहार में राजनीतिक गठबंधनों के बीच संबंधों में तनाव का संकेत देता है, जहाँ सीट बंटवारे को लेकर अक्सर विवाद होते रहे हैं। पारस के इस्तीफे ने राजनीतिक विश्लेषकों और पार्टी के कार्यकर्ताओं के बीच चर्चा का विषय बन गया है।
राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी के भविष्य पर भी सवाल उठ रहे हैं, क्योंकि पारस के नेतृत्व में पार्टी की दिशा और रणनीति पर नए सिरे से विचार करने की आवश्यकता होगी।
इस बीच, भाजपा ने पारस के आरोपों का जवाब देने में संयम बरता है, यह कहते हुए कि गठबंधन निर्णयों को सभी सहयोगियों के हितों को ध्यान में रखकर लिया जाता है।
राजनीतिक परिदृश्य में यह नवीनतम घटनाक्रम बिहार में आगामी चुनावों के लिए रणनीतियों और गठबंधनों की गतिशीलता को नया आयाम देता है। इस विवाद का परिणाम कैसा होगा, यह आने वाले समय में देखा जाएगा।