भारत के उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने हाल ही में एक महत्वपूर्ण घोषणा की, जिससे न केवल पद्म पुरस्कारों की प्रतिष्ठा में वृद्धि हुई है, बल्कि इसने आम जनता के मन में इन पुरस्कारों के प्रति विश्वास भी जगाया है। उपराष्ट्रपति ने घोषणा की है कि पद्म पुरस्कारों की प्रदान प्रक्रिया में अब पूर्ण पारदर्शिता लाई गई है।
पारदर्शिता की नई दिशा
इस नई प्रणाली के तहत, पद्म पुरस्कार अब केवल सामर्थ्य, प्रतिभा और देश के प्रति असाधारण योगदान रखने वाले व्यक्तियों को ही दिए जाएंगे। धनखड़ ने कहा, “एक समय था जब पद्म पुरस्कारों को इवेंट मैनेजमेंट और सरपरस्ती के तहत दिया जाता था, लेकिन अब यह व्यवस्था पूरी तरह से बदल चुकी है।”
पद्म पुरस्कारों की प्रक्रिया में आई इस पारदर्शिता ने न केवल इन्हें और अधिक सम्माननीय बनाया है बल्कि यह भी सुनिश्चित किया है कि इन पुरस्कारों को पाने वाले हर व्यक्ति वास्तव में इसके योग्य हैं। उपराष्ट्रपति के इस कदम को व्यापक स्तर पर सराहा गया है, जिससे आम जनता का इन पुरस्कारों के प्रति विश्वास और भी मजबूत हुआ है।
धनखड़ ने आगे कहा, “पद्म पुरस्कार अब लोगों के पुरस्कार बन गए हैं।” इससे यह स्पष्ट होता है कि सरकार का उद्देश्य इन पुरस्कारों को अधिक समावेशी और प्रतिनिधित्वकारी बनाना है, जिससे कि देश के हर कोने और समुदाय से आने वाले व्यक्तियों की प्रतिभा को पहचाना जा सके।
इस बदलाव का एक और महत्वपूर्ण पहलू यह है कि अब पुरस्कार प्राप्त करने वालों का चयन पूरी तरह से निष्पक्ष और वस्तुनिष्ठ मापदंडों पर आधारित होगा। यह न केवल पुरस्कारों की गरिमा को बढ़ाता है बल्कि यह भी सुनिश्चित करता है कि प्रतिभाशाली और योग्य व्यक्तियों को ही सम्मानित किया जाए।
उपराष्ट्रपति धनखड़ की इस पहल को देखते हुए, यह स्पष्ट है कि भारत सरकार पद्म पुरस्कारों को और अधिक प्रामाणिक, पारदर्शी और सम्मानजनक बनाने के लिए प्रतिबद्ध है। इस प्रकार, यह कदम न केवल पुरस्कारों की प्रतिष्ठा को बढ़ाता है बल्कि यह भारतीय समाज में प्रतिभा और योगदान को मान्यता देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम भी है।