पुणे: वंचित बहुजन आघाड़ी के प्रमुख प्रकाश आंबेडकर ने सोमवार को कहा कि उन्होंने कोरेगांव भीमा जांच आयोग के समक्ष पूछताछ से हटने का निर्णय लिया है। उनका आरोप है कि जांच को भटकाने का प्रयास किया जा रहा है।
कोरेगांव भीमा की जांच में विवाद
जांच आयोग कोरेगांव भीमा में 1 जनवरी, 2018 को हुई हिंसा की जांच कर रहा है। यह हिंसा बाई-सेंटेनरी समारोह के दौरान हुई थी, जिसके एक दिन पहले पुणे में एल्गार परिषद का आयोजन हुआ था।
न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) जे एन पटेल इस आयोग की अध्यक्षता कर रहे हैं। प्रकाश आंबेडकर का कहना है कि जांच की दिशा बदलने की कोशिश की जा रही है, जिससे वे नाखुश हैं।
उन्होंने आरोप लगाया कि जांच प्रक्रिया में अनुचित हस्तक्षेप किया जा रहा है, जिससे सच्चाई का पता लगाने के प्रयासों में बाधा उत्पन्न हो रही है। आंबेडकर के इस कदम से जांच प्रक्रिया पर सवाल उठने लगे हैं।
आंबेडकर के अनुसार, जांच में देरी और जांच प्रक्रिया में व्यवधान आने से उनका विश्वास जांच आयोग में से उठ गया है। उन्होंने यह भी कहा कि वे जांच आयोग के समक्ष अपना पक्ष रखने के लिए तैयार थे, लेकिन जांच की दिशा में बदलाव के कारण उन्होंने इससे पीछे हटने का निर्णय लिया।
इस घटनाक्रम ने जांच आयोग के सामने नई चुनौतियाँ पेश की हैं। समाज के एक बड़े हिस्से ने इस कदम का समर्थन किया है, वहीं कुछ लोगों ने इसे जांच की प्रक्रिया में बाधा के रूप में देखा है।
प्रकाश आंबेडकर के इस निर्णय से जांच प्रक्रिया के प्रति जनता का ध्यान और भी अधिक केंद्रित हो गया है। अब यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि जांच आयोग इस स्थिति का सामना कैसे करता है और सच्चाई को सामने लाने में कितना सफल होता है।