भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने अपने एजेंडे में एक नई दिशा तय की है। अयोध्या के बाद, अब पार्टी का ध्यान मथुरा की ओर आकर्षित हुआ है। इस नई योजना के तहत, भाजपा राष्ट्रीय परिषद की बैठक में श्रीकृष्ण जन्मभूमि के प्रस्ताव को पेश करने की तैयारी में है।
नया लक्ष्य: श्रीकृष्ण जन्मभूमि
यह बैठक, जो दिल्ली के भारत मंडपम में 16 से 18 फरवरी तक आयोजित की जाएगी, भाजपा के लिए एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित होने की उम्मीद है। इस दौरान, श्रीकृष्ण जन्मभूमि के मुद्दे पर विचार-विमर्श किया जाएगा, जिसे 1989 में श्रीराम जन्मभूमि के प्रस्ताव की तरह ही महत्वपूर्ण माना जा रहा है।
पार्टी का मानना है कि अयोध्या की तरह, मथुरा का मुद्दा भी उनके हिन्दुत्व के एजेंडे को मजबूती प्रदान करेगा। यह प्रस्ताव न केवल धार्मिक बल्कि राजनीतिक रूप से भी पार्टी की स्थिति को मजबूत करने में सहायक होगा।
इस बैठक के माध्यम से, भाजपा देशभर में अपने समर्थकों को संदेश देना चाहती है कि पार्टी भारतीय संस्कृति और धर्म के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को लेकर अटल है। यह आयोजन पार्टी के लिए न केवल धार्मिक बल्कि सामाजिक एकता का संदेश भी देगा।
अंततः, भाजपा की यह कदम राष्ट्रीय स्तर पर उनकी छवि को और अधिक सुदृढ़ करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल है। मथुरा के मुद्दे को आगे बढ़ाकर, पार्टी अपने आधार को मजबूत करने के साथ-साथ नए समर्थकों को भी आकर्षित करने की आशा करती है।