नई दिल्ली: दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल ने रविवार को कहा कि अगर उनके पूर्व झारखंड समकक्ष हेमंत सोरेन ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के साथ हाथ मिलाया होता, तो वे आज जेल में नहीं होते।
केजरीवाल ने सोरेन की पत्नी कल्पना मुर्मू सोरेन से टेलीफोनिक बातचीत की, जिन्होंने उनके समर्थन के लिए उनका धन्यवाद किया।
हेमंत सोरेन के समर्थन में केजरीवाल
ट्विटर पर बात करते हुए, कल्पना ने कहा, “आज मैंने दिल्ली के माननीय मुख्यमंत्री श्री @ArvindKejriwal जी से टेलीफोनिक बातचीत की। ऐसे समय में अरविन्द जी का झारखंडी योद्धा हेमंत जी और जेएमएम परिवार के साथ होने के लिए धन्यवाद।”
केजरीवाल की इस टिप्पणी से राजनीतिक हलकों में काफी चर्चा हो रही है। यह बयान न सिर्फ झारखंड की राजनीति में एक नया मोड़ लेकर आया है, बल्कि यह भारतीय राजनीति के व्यापक परिदृश्य पर भी प्रकाश डालता है।
केजरीवाल ने अपने बयान में यह भी जोड़ा कि राजनीतिक गठबंधनों को सावधानी से चुना जाना चाहिए, और यह कि हेमंत सोरेन की स्थिति इसका एक उदाहरण है।
इस पूरे प्रकरण ने राजनीतिक विश्लेषकों को यह सोचने पर मजबूर कर दिया है कि कैसे राजनीतिक संबंध और गठबंधन एक नेता के करियर को प्रभावित कर सकते हैं।
केजरीवाल का यह कदम उनके और हेमंत सोरेन के बीच एक मजबूत राजनीतिक संबंध की ओर इशारा करता है। यह दिखाता है कि वे व्यक्तिगत और राजनीतिक चुनौतियों के समय में एक-दूसरे का समर्थन करने को तैयार हैं।
इस घटनाक्रम ने झारखंड के राजनीतिक परिदृश्य में नई चर्चाओं को जन्म दिया है, जहां हेमंत सोरेन के भविष्य की दिशा पर सभी की नजरें टिकी हुई हैं।
अंत में, यह घटना न सिर्फ राजनीतिक गठबंधनों की शक्ति और सीमाओं को दर्शाती है, बल्कि यह भी बताती है कि कैसे व्यक्तिगत रिश्ते और समर्थन राजनीतिक दृश्यपटल पर महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं।