विश्व सुरक्षा परिषद् (UNSC) में सुधारों की मांग को लेकर भारत ने फिर से अपनी आवाज बुलंद की है। यूएन में भारत की प्रतिनिधि, रुचिरा कम्बोज ने हाल ही में यह मांग उठाई। उन्होंने कहा कि 1990 के दशक में शुरू हुई इस चर्चा को अब कितना समय और दिया जाएगा? दुनिया और आने वाली पीढ़ियों के लिए यह इंतजार अब बर्दाश्त से बाहर हो चुका है।
भारत की दृढ़ता
रुचिरा कम्बोज ने याद दिलाया कि साल 2000 में मिलेनियल समिट के दौरान, विश्व के नेताओं ने UNSC में सुधारों के लिए पहली बार एक संकल्प लिया था। उस संकल्प को लिए हुए अब 24 वर्ष बीत चुके हैं। इस लंबे समय के बावजूद, परिषद में कोई महत्वपूर्ण परिवर्तन नहीं हुआ है। भारत ने इस दिशा में और अधिक कठोर प्रयासों की आवश्यकता पर बल दिया है।
सुरक्षा परिषद के सुधार के मुद्दे पर भारत ने विश्व समुदाय से एकजुटता की अपील की है। रुचिरा ने जोर देकर कहा कि सुधारों की आवश्यकता न केवल भारत के लिए है बल्कि विश्व के सभी देशों के लिए है। यह समय की मांग है कि UNSC, जो विश्व शांति और सुरक्षा के लिए जिम्मेदार है, वर्तमान दुनिया के अनुरूप ढांचागत बदलावों को अपनाए।
इस पृष्ठभूमि में, भारत ने अन्य देशों से भी सहयोग की मांग की है। यह स्पष्ट है कि वैश्विक चुनौतियाँ एकजुटता और सामूहिक प्रयासों के बिना हल नहीं की जा सकतीं। इसलिए, UNSC में सुधारों की मांग न केवल एक देश की आवाज है बल्कि यह विश्व शांति और सुरक्षा के लिए एक सामूहिक पुकार है।
अंततः, भारत का यह कहना है कि UNSC में सुधार एक लंबित प्रक्रिया है, जिसे अब और देरी के बिना पूरा किया जाना चाहिए। दुनिया बदल चुकी है, और समय के साथ संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद् को भी बदलना होगा ताकि वह विश्व शांति और सुरक्षा के लिए अधिक प्रभावी ढंग से कार्य कर सके। भारत इस दिशा में अग्रणी भूमिका निभाने के लिए प्रतिबद्ध है और विश्व समुदाय से इस महत्वपूर्ण मिशन में सहयोग की आशा करता है।