मुंबई: मुंबई में वायु प्रदूषण से निपटने के लिए अब केवल उपचारात्मक उपाय ही पर्याप्त नहीं हैं, बल्कि रोकथाम अधिक महत्वपूर्ण हो गई है। बॉम्बे हाई कोर्ट ने सोमवार को इसे “आपात” स्थिति के रूप में वर्णित किया है।
मुख्य न्यायाधीश डी के उपाध्याय और न्यायाधीश जी एस कुलकर्णी की एक खंडपीठ ने कहा कि वायु प्रदूषण पर कानून और नियम पहले से ही मौजूद हैं, लेकिन अब इनका क्रियान्वयन आवश्यक है।
वायु गुणवत्ता की स्थिति
यद्यपि शहर में वायु गुणवत्ता सूचकांक संतोषजनक हो सकता है, लेकिन कुछ महीनों में यह फिर से खराब या उससे भी बदतर श्रेणी में लौट जाएगा, अदालत ने कहा।
न्यायालय ने संकेत दिया कि मुंबई में वायु प्रदूषण की स्थिति केवल चिंताजनक नहीं है, बल्कि यह शहर के नागरिकों के स्वास्थ्य पर भी गंभीर प्रभाव डाल सकती है।
अदालत ने स्पष्ट किया कि वायु प्रदूषण को रोकने के लिए ठोस कदम उठाने होंगे और इसे एक समग्र दृष्टिकोण के साथ संबोधित किया जाना चाहिए।
इस प्रक्रिया में, सरकारी एजेंसियों, नागरिक समाज और निजी क्षेत्र को मिलकर काम करने की आवश्यकता है। यह न केवल मुंबई की वायु गुणवत्ता को सुधारेगा, बल्कि यह भविष्य में ऐसी आपात स्थितियों से बचाव में भी मदद करेगा।
अंततः, अदालत ने सरकार और सभी संबंधित पक्षों को इस मामले को उच्चतम प्राथमिकता देने और मुंबई के नागरिकों को एक स्वस्थ और साफ वातावरण प्रदान करने के लिए तत्परता से काम करने का आह्वान किया।