नई दिल्ली: दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने रविवार को एक बड़ा दावा किया। उन्होंने कहा कि यदि प्रवर्तन निदेशालय (ED) को रोक दिया जाए और पीएमएलए (प्रिवेंशन ऑफ मनी-लॉन्डरिंग एक्ट) की धारा 45 को निरस्त कर दिया जाए, तो भाजपा के नेता जैसे कि शिवराज सिंह चौहान और वसुंधरा राजे अपनी खुद की राजनीतिक पार्टियाँ बना सकते हैं।
राजनीतिक परिदृश्य में उल्लेखनीय परिवर्तन
इन दोनों नेताओं को भाजपा द्वारा मध्य प्रदेश और राजस्थान में हाल ही में आयोजित विधानसभा चुनावों में पार्टी की वापसी सुनिश्चित करने के बावजूद मुख्यमंत्री पद के लिए अनदेखा किया गया था।
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के साथ, केजरीवाल ने विपक्षी नेताओं के भाजपा में शामिल होने पर एक प्रश्न का उत्तर देते हुए कहा, “आज, यदि ED को रोक दिया जाए और पीएमएलए की धारा 45 को निरस्त कर दिया जाए, तो भाजपा के आधे नेता पार्टी छोड़ देंगे।”
इस बयान से यह स्पष्ट है कि केजरीवाल विपक्षी दलों के नेताओं के भाजपा में शामिल होने की प्रवृत्ति को रोकने के लिए कानूनी ढांचे में परिवर्तन को महत्वपूर्ण मानते हैं।
उनके इस दावे ने राजनीतिक चर्चाओं में नई जान फूंक दी है। यह देखा जा रहा है कि क्या वास्तव में इस प्रकार के कानूनी परिवर्तन से राजनीतिक दलों की गतिशीलता में परिवर्तन आएगा।
केजरीवाल का यह दावा राजनीतिक विश्लेषकों और आम जनता के बीच व्यापक चर्चा का विषय बन गया है। इससे यह संकेत मिलता है कि राजनीतिक दलों के गठन और विघटन के पीछे कानूनी और वित्तीय ढांचे महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
इस घटनाक्रम से यह भी पता चलता है कि राजनीतिक नेतृत्व और पार्टी संगठनों के भविष्य को आकार देने में कानूनी प्रावधानों की कितनी बड़ी भूमिका हो सकती है।