पटना (अप्सरा)- लोकसभा चुनाव के सियासी संग्राम में राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव ने योद्धाओं को भले देर से उतारा। लेकिन एक तयशुदा रणनीति के तहत लालू ने माय और बाप समीकरण को भी साध लिया। लालू यादव ने जिन 22 उम्मीदवारों की घोषणा की उन पर एमवाई के समीकरण की गहरी छाप भी है। राजनीति के मंझे खिलाड़े लालू प्रसाद यादव अच्छी तरह जानते हैं कि एक्सपेरिमेंट के तौर पर बने-बनाए वोट बैंक से छेड़छाड़ करने का नतीजा काफी खराब भी हो सकता है। इसलिए लालू प्रसाद यादव ने बगैर आलोचनाओं की परवाह किए वही किया, जिसके लिए वो जाने जाते हैं।
बता दें कि लालू यादव ने घोषित नामों में सजातीय यादव जाति पर सबसे भरोसा किया। लालू यादव ने अपने समाज से कुल 8 उम्मीदवारों को चुनावी जंग में उतारा है। हालांकि इस बार मुसलमानों को लालू प्रसाद यादव ने उतनी तरजीह नहीं दी है। उनकी लिस्ट में (सिवान में अभी घोषणा नहीं) इस बार सिर्फ दो लोकसभा सीटों पर मुस्लिम कैंडिडेट हैं। जबकि शेष मुस्लिम बहुल क्षेत्र उन्होंने कांग्रेस के हवाले कर दिया। राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव ने तेजस्वी के ए टू जेड का भी ख्याल रखा है। उन्होंने वैशाली से भूमिहार समाज के नेता को टिकट दिया। बक्सर से भी राजपूत जाति के उम्मीदवार को मैदान में उतारा है।
इस के साथ ही भाजपा के कोरे वोटर पर निशाना साधते लालू यादव ने औरंगाबाद से अभय कुशवाहा को उतारा है। जबकि नवादा से भी राजद सुप्रीमो ने श्रवण कुशवाहा को उतारा है। वहीं लालू यादव ने दलित में पासवान और रविदास पर भरोसा कर गया लोकसभा से कुमार सर्वजीत पासवान को उतारा तो जमुई और हाजीपुर से क्रमशः अर्चना रविदास और शिवेश राम को आजमाया गया है। नीतीश कुमार के वोट बैंक में भी लालू यादव ने हाथ लगाया। आलोक मेहता को उजियारपुर, पूर्णिया से बीमा भारती मंडल, मुंगेर से अनिता महतो को आजमाया है। अतिपिछड़ा से चंद्रहास चौपाल को सुपौल से तथा वैश्य से रीता जायसवाल को शिवहर से आजमाया गया है।