नई दिल्ली (उपासना): भारतीय लोकतंत्र के महाकुंभ में दो चरणों की वोटिंग संपन्न हो चुकी है, जिसमें 190 लोकसभा सीटों पर जनता ने अपना मताधिकार प्रयोग किया। इस चुनावी सीजन में, जहां नॉर्थ-ईस्ट भारत में NDA ने अपनी बढ़त बनाई है, वहीं दक्षिण भारत में कांग्रेस ने अपनी जमीन मजबूत की है। अब सीधी टक्कर वाले राज्यों में भाजपा और कांग्रेस के बीच कड़ी टक्कर जारी है।
इन दो चरणों में जहां 35% सीटें वोटिंग के लिए प्रस्तुत की गईं, वहीं वोटिंग की कमी ने कई राजनीतिक दलों और मतदाताओं को चिंतित कर दिया है। चुनावी प्रक्रिया में इस घटनाक्रम का विश्लेषण करते हुए यह पाया गया कि मतदान की कम संख्या ने सियासी दलों की रणनीतियों पर भी प्रभाव डाला है।
चुनावी जंग में भाजपा और कांग्रेस के प्रमुख चेहरों ने अपने-अपने क्षेत्रों में जोरदार प्रचार किया। उत्तर प्रदेश की 16 सीटों पर अब तक हुई वोटिंग से पता चलता है कि क्षेत्रीय राजनीति के उतार-चढ़ाव सीधे तौर पर राष्ट्रीय परिदृश्य को प्रभावित कर रहे हैं।
महाराष्ट्र और कर्नाटक के चुनावी मैदान में रोचक मुकाबले जारी हैं। यहां की लड़ाई न केवल स्थानीय बल्कि राष्ट्रीय स्तर पर भी अहमियत रखती है। इस बीच, चुनावी प्रचार अपने चरम पर है और सभी प्रमुख दल एक दूसरे को घेरने का कोई मौका नहीं छोड़ रहे हैं।
पंजाब में चुनावी संघर्ष अधिक जटिल हो गया है, जहां सभी प्रमुख पार्टियाँ अकेले ही चुनावी समर में उतरी हैं। यहां की 13 सीटों पर मुकाबला कांटे का है और भाजपा ने अन्य दलों से आए छह उम्मीदवारों को उतारकर मुकाबले को और भी रोचक बना दिया है।