वित्त मंत्री ने संसद के बजट सत्र के अंतिम दिन एक गंभीर आरोप लगाया है। उनके अनुसार, यूपीए के शासनकाल में कांग्रेस ने पूर्वोत्तर भारत की उपेक्षा की और विकास के अवसरों को नष्ट कर दिया। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के इस बयान से राजनीतिक गलियारों में हलचल मच गई है।
वित्त मंत्री का निशाना
राज्यसभा में श्वेत पत्र पर चर्चा करते हुए वित्त मंत्री ने कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा, “कांग्रेस को गुड़ का गोबर करना आता है।” उन्होंने आगे कहा कि पूर्वोत्तर को भुलाने की नीति ने इस क्षेत्र के विकास को गहरा धक्का पहुँचाया है। वित्त मंत्री के ये शब्द न केवल एक राजनीतिक आरोप हैं बल्कि एक गंभीर चिंतन का विषय भी हैं।
पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के संदर्भ में बोलते हुए, वित्त मंत्री ने उल्लेख किया कि असम से लगभग 28 वर्षों तक सांसद रहने के बावजूद, उन्होंने इस क्षेत्र के लिए कुछ भी महत्वपूर्ण नहीं किया। इस टिप्पणी से यह स्पष्ट होता है कि वित्त मंत्री ने पूर्वोत्तर के विकास की उपेक्षा के लिए सीधे तौर पर कांग्रेस और उसके नेतृत्व को जिम्मेदार ठहराया है।
वित्त मंत्री के इस आरोप के बाद से राजनीतिक और सामाजिक विश्लेषकों की प्रतिक्रियाएं सामने आ रही हैं। कुछ लोग इसे सत्ताधारी पार्टी द्वारा विपक्ष पर अनावश्यक आरोप मान रहे हैं, जबकि अन्य इसे पूर्वोत्तर भारत के विकास की उपेक्षा के लिए एक वाजिब चिंता मानते हैं।
इस बहस में, यह स्पष्ट है कि पूर्वोत्तर भारत की उपेक्षा एक गंभीर मुद्दा है जिसे हर राजनीतिक दल को समझने और उस पर कार्य करने की आवश्यकता है। वित्त मंत्री के आरोप ने इस मुद्दे को एक बार फिर से सार्वजनिक चर्चा में ला दिया है, जो आगामी चुनावों में एक महत्वपूर्ण विषय बन सकता है।
अंत में, यह महत्वपूर्ण है कि सभी राजनीतिक दल पूर्वोत्तर भारत के विकास के लिए समर्थन और सहयोग की भावना के साथ आगे बढ़ें। वित्त मंत्री का यह आरोप एक जागृति का संकेत है कि पूर्वोत्तर के विकास को प्राथमिकता देने की आवश्यकता है।