नई दिल्ली: भारत ने चीन जैसे कुछ देशों द्वारा विश्व व्यापार संगठन (WTO) में निवेश सुविधा पर प्रस्ताव को आगे बढ़ाने के प्रयासों का कड़ा विरोध किया है। एक अधिकारी ने मंगलवार को बताया कि यह एजेंडा वैश्विक व्यापार निकाय के दायरे से बाहर है।
निवेश सुविधा पर चर्चा
इस मुद्दे को विश्व व्यापार संगठन (WTO) के मंत्रिस्तरीय सम्मेलन (MC) में उठाया जाएगा, जो अबू धाबी में होगा। चार दिनों की बैठक 26 फरवरी से शुरू होगी।
MC, WTO का सर्वोच्च निर्णय निर्माण निकाय है। भारत के अधिकारी ने आगे कहा कि वैश्विक व्यापार निकाय की बैठक में यह विषय मुख्य चर्चा का हिस्सा होगा।
भारत का मानना है कि निवेश सुविधा से संबंधित प्रस्ताव विकसित देशों के हित में है और यह विकासशील देशों की चिंताओं को दरकिनार करता है। भारत चाहता है कि WTO में ऐसे मुद्दों पर चर्चा हो जो सभी सदस्य देशों के हित में हों।
भारत के विरोध का मुख्य कारण यह है कि निवेश सुविधा से संबंधित प्रस्ताव व्यापार सुविधा समझौते (TFA) के समानांतर है, जिसे पहले ही WTO में अपनाया जा चुका है। भारत का मानना है कि इस प्रकार के प्रस्तावों से विकासशील देशों पर अनावश्यक दबाव पड़ेगा।
इस प्रकार, भारत WTO में चीन द्वारा नेतृत्व किए जा रहे निवेश सुविधा पर प्रस्ताव का न केवल विरोध कर रहा है बल्कि यह भी सुनिश्चित करने का प्रयास कर रहा है कि व्यापार और निवेश के मुद्दे सभी सदस्य देशों के लिए समान रूप से लाभकारी हों। भारत की यह पहल वैश्विक व्यापार व्यवस्था में संतुलन और न्याय सुनिश्चित करने के लिए महत्वपूर्ण है।