शिमला, हिमाचल प्रदेश: सोमवार को शिमला के विधानसभा के निकट, स्कूल प्रबंधन समिति (SMC) द्वारा नियुक्त शिक्षकों ने अपने परिवार के सदस्यों के साथ मिलकर एक बड़ी रैली आयोजित की। इन शिक्षकों की मुख्य मांग उनकी सेवाओं का तत्काल नियमितीकरण है।
सरकार के खिलाफ नारेबाजी
विरोध प्रदर्शन करते हुए, शिक्षकों ने सरकार के खिलाफ नारे लगाए और अपनी मांगों को स्वीकार करने तथा उनके लिए एक नीति बनाने तक अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल पर बैठने की चेतावनी दी।
उम्मीदें अधूरी
स्कूल प्रबंधन समिति (SMC) शिक्षक संघ के अध्यक्ष सुनील शर्मा ने कहा, “हमें उम्मीद थी कि राज्य सरकार लगभग 2,500 SMC शिक्षकों के नियमितीकरण की घोषणा करेगी, जो पिछले 12 वर्षों से राज्य के दूरदराज और कठिन क्षेत्रों में अपनी सेवाएं प्रदान कर रहे हैं। लेकिन मुख्यमंत्री ने वार्षिक बजट में SMC शिक्षकों के मानदेय में केवल 1,900 रुपये की वृद्धि की घोषणा की।”
आंदोलन की दिशा
इस आंदोलन ने शिक्षकों और सरकार के बीच एक गहन बातचीत की जरूरत को उजागर किया है। शिक्षकों का कहना है कि उनकी मांगों को पूरा किए बिना, वे अपने विरोध को जारी रखेंगे।
नियमितीकरण की मांग
शिक्षकों की इस मांग के पीछे एक लंबी यात्रा है। वे वर्षों से अपनी सेवाएं दे रहे हैं, और अब उन्हें उचित मान्यता और स्थिरता की आवश्यकता है।
समाधान की ओर
सरकार और शिक्षकों के बीच संवाद ही इस मुद्दे का समाधान प्रदान कर सकता है। दोनों पक्षों को एक साझा आधार पर आने की जरूरत है, जिससे शिक्षकों के भविष्य को लेकर एक स्थायी नीति बन सके।
इस विरोध प्रदर्शन ने न केवल शिक्षकों की मांगों को उजागर किया है, बल्कि यह भी दिखाया है कि कैसे सरकारी नीतियाँ अक्सर उनकी आवश्यकताओं को पूरा करने में विफल रहती हैं। शिक्षकों की इस लड़ाई में, उनका मुख्य लक्ष्य न केवल उनकी नौकरी का नियमितीकरण है, बल्कि एक ऐसी नीति की भी मांग है जो भविष्य में उनकी सुरक्षा सुनिश्चित कर सके।