हुगली (उपासना): वर्ष 2014 और 2019 में मोदी के प्रचंड लहर के बावजूद भाजपा तृणमूल कांग्रेस के मजबूत किले श्रीरामपुर को भेदने में नाकाम रही थी। वर्ष 2014 में इस सीट से तत्कालीन भाजपा उम्मीदवार बालीवुड के मशहूर संगीतकार बप्पी लाहिड़ी 2,87,712 मत पाकर तीसरे नंबर पर रहे थे। वर्ष 2019 में तत्कालीन भाजपा उम्मीदवार देवजीत सरकार 5,39,171 मतों के साथ दूसरे स्थान पर रहे थे।
इस बार श्रीरामपुर लोकसभा सीट पर राजनीतिक समीकरण कुछ अलग हैं। अयोध्या में रामलला के मंदिर निर्माण और प्राण प्रतिष्ठा के बाद भाजपा उम्मीदवार कबीर शंकर बोस को राम और मोदी के नाम का भरोसा है। इसका सबसे बड़ा प्रमाण कबीर शंकर बोस का संकल्प पत्र है जिसमें सबसे ऊपर कबीर ने श्रीरामपुर के राम-सीता मंदिर का जीर्णोद्धार कर भव्य रूप में उसके प्रतिष्ठा की बात कही है।
यह भी समझना होगा कि वर्ष 2024 में राम के प्रति तृणमूल कांग्रेस का रवैया बदला है। अमूमन रामनवमी से सार्वजनिक तौर पर खुद को दूर रखने वाले तृणमूल नेताओं को भी वर्ष 2024 में राम का नाम लेते हुए देखा गया है। रामनवमी के दौरान तृणमूल कांग्रेस उम्मीदवार कल्याण बनर्जी को बार-बार प्रभु श्रीराम का पूजन करते हुए देखा गया। श्रीरामपुर भगवान जगन्नाथ के भक्तों का शहर है और पश्चिम बंगाल सरकार ने करोड़ों रुपये खर्च कर महेश के ऐतिहासिक जगन्नाथ मंदिर का जीर्णोद्धार कराया है और उसे पर्यटनस्थल के रूप में विकसित किया है।
उत्तरपाड़ा, श्रीरामपुर और चांपदानी विधानसभा क्षेत्रों में कुछ तृणमूल कार्यकर्ताओं के असंतोष ने भाजपा उम्मीदवार कबीर शंकर बोस के मन में उम्मीद की किरण जगाई है। राजनीतिक विश्लेषकों के मुताबिक इस बार श्रीरामपुर सीट से माकपा उम्मीदवार दीपशिता धर किंगमेकर की भूमिका अदा कर सकती हैं। माकपा की इस उम्मीदवार से वामदलों को काफी उम्मीदें हैं।