भारतीय जांच एजेंसी, सीबीआई ने 22 फरवरी को जम्मू और कश्मीर के पूर्व गवर्नर, सत्यपाल मलिक के निवास पर छापेमारी की। यह कार्रवाई कीरू हाइड्रोपावर प्रोजेक्ट में कथित तौर पर 300 करोड़ रुपये की रिश्वत संबंधी आरोपों के चलते की गई। इस छापेमारी के साथ ही, दिल्ली में 29 अन्य स्थानों पर भी सीबीआई ने रेड की।
भ्रष्टाचार का बड़ा खुलासा
सत्यपाल मलिक, जो कि जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल के रूप में कार्यरत थे, ने पहले ही भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाई थी। 2021 में, मलिक ने खुलासा किया था कि उन्हें गवर्नर रहते हुए करोड़ों रुपये की रिश्वत की पेशकश की गई थी। उनके अनुसार, दो फाइलें उनके पास आईं थीं, जिनमें से एक उद्योगपति से संबंधित थी और दूसरी महबूबा मुफ्ती से।
मलिक ने बताया कि उन्हें दोनों फाइलों के लिए 150-150 करोड़ रुपये की पेशकश की गई थी। उन्होंने इस प्रस्ताव को ठुकरा दिया था और कहा था कि वह इस मामले में सीबीआई को संलिप्त व्यक्तियों के नाम बता देंगे।
सीबीआई ने इस मामले में दो अलग-अलग FIR दर्ज कीं। पहली FIR लगभग 60 करोड़ रुपये के ठेके के आवंटन में कथित भ्रष्टाचार से संबंधित है, जो 2017-18 में जम्मू-कश्मीर कर्मचारी स्वास्थ्य बीमा योजना के लिए एक बीमा कंपनी से रिश्वत के रूप में ली गई थी।
इस छापेमारी ने न केवल सत्यपाल मलिक के खिलाफ आरोपों को उजागर किया है बल्कि यह भी संकेत दिया है कि भ्रष्टाचार किस तरह से उच्चतम स्तरों पर पनप सकता है। सीबीआई की यह कार्रवाई भ्रष्टाचार के खिलाफ एक महत्वपूर्ण कदम मानी जा रही है, जिससे अन्य संभावित आरोपियों को भी सचेत किया जा सकता है।