चंडीगढ़ में हर परिवार को 20,000 लीटर मुफ्त पानी देने के निर्णय पर, पंजाब के गवर्नर बनवारीलाल पुरोहित ने बड़े सवाल उठाए हैं। उनका कहना है कि इस प्रस्ताव की व्यवहार्यता पर संदेह है क्योंकि चंडीगढ़ नगर निगम ने इस संबंध में कोई अनुमति नहीं मांगी है और न ही यह खुलासा किया है कि वह इसके लिए आवश्यक संसाधन कहां से जुटाएगा।
प्रश्नचिह्न
पुरोहित ने इस निर्णय की व्यवहार्यता पर प्रश्न उठाते हुए कहा कि यह कोई “जंगल राज” नहीं है और सभी को एक व्यवस्था का पालन करना होगा। उन्होंने कहा कि नियमों और प्रक्रियाओं का पालन किए बिना किसी भी तरह का निर्णय लेना सही नहीं है।
मेयर कुलदीप कुमार द्वारा यह आरोप लगाने पर कि चंडीगढ़ के प्रशासक ने हाल ही में एक कार्यक्रम में उनका अपमान किया था, पुरोहित ने इसका खंडन किया। उन्होंने कहा कि ऐसे आरोपों का कोई आधार नहीं है और वे पूरी तरह से असत्य हैं।
इस पूरे मामले में, पंजाब के गवर्नर ने यह स्पष्ट किया है कि चंडीगढ़ में मुफ्त पानी के प्रस्ताव पर फिर से विचार किया जाना चाहिए। उनका मानना है कि इस तरह के निर्णय से पहले सभी आवश्यक प्रक्रियाओं का पालन किया जाना चाहिए और यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि इसके लिए आवश्यक संसाधन उपलब्ध हैं।
चंडीगढ़ में मुफ्त पानी के इस प्रस्ताव ने न केवल पंजाब के गवर्नर बल्कि शहर के निवासियों में भी चिंता की लहर दौड़ा दी है। सभी को इस बात की चिंता है कि यदि यह निर्णय लागू होता है तो इसका प्रबंधन कैसे किया जाएगा और इसके लिए आवश्यक संसाधन कहां से आएंगे।
अंततः, इस मुद्दे पर और चर्चा की आवश्यकता है और यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि चंडीगढ़ नगर निगम और पंजाब के गवर्नर के बीच इस पर किस तरह का समझौता होता है। शहर के निवासियों की नजर इस पर टिकी हुई है कि आगे क्या कदम उठाए जाएंगे।