भारत में लोकसभा चुनावों की सरगर्मियां अपने चरम पर हैं, और इस दौर में प्राइवेट हेलिकॉप्टरों की मांग में असाधारण वृद्धि देखी जा रही है। विशेषज्ञों का अनुमान है कि 2024 के चुनावों के दौरान हेलिकॉप्टरों की मांग पिछले चुनावी सीजन की तुलना में 40% तक बढ़ जाएगी।
चुनावी दौड़ में हेलिकॉप्टरों की अहम भूमिका
इस वृद्धि का मुख्य कारण है हेलिकॉप्टरों की वह विशेषता जो उन्हें दूर-दराज के क्षेत्रों में आसानी से पहुंचा सकती है, जहाँ अन्य विमानों का जाना मुश्किल होता है। यह सुविधा राजनीतिक पार्टियों को अपने प्रचार अभियानों को व्यापक और अधिक प्रभावी बनाने में मदद करती है।
उद्योग विशेषज्ञों के अनुसार, चुनावी सीजन में हेलिकॉप्टरों की डिमांड उपलब्धता से कहीं अधिक होती है। प्राइवेट प्लेन कंपनियों की एक सीमित संख्या होने के कारण, यह मांग और भी बढ़ जाती है। PTI के मुताबिक, क्लब वन एयर के CEO राजन मेहरा ने बताया कि आने वाले चुनावों के दौरान प्राइवेट हेलिकॉप्टर और चार्टर्ड प्लेन की बढ़ती मांग को देखते हुए कई कंपनियां पहले से ही अपनी तैयारियां कर रही हैं।
इस वृद्धि के पीछे एक और कारण है विमानों पर होने वाला व्यय। भारतीय चुनाव आयोग को सौंपे गए 2019-20 के लिए पार्टी के एनुअल ऑडिट अकाउंट रिपोर्ट के अनुसार, सत्तारूढ़ भाजपा ने विमान / हेलिकॉप्टर पर कुल 250 करोड़ रुपए से अधिक खर्च किए थे, जबकि कांग्रेस पार्टी ने 126 करोड़ रुपए खर्च किए थे।
कम समय में अधिक जगहों तक पहुंचने की क्षमता के कारण हेलिकॉप्टर राजनीतिक दलों के लिए पहली पसंद बने हुए हैं। इसके अलावा, चुनावी अभियानों में उपयोग के लिए हेलिकॉप्टरों की किराये पर लेने की प्रक्रिया में भी वृद्धि हो रही है, जिससे किराया ढाई लाख रुपए तक बढ़ सकता है।
इस प्रकार, चुनावी मौसम में हेलिकॉप्टरों की बढ़ती मांग न केवल राजनीतिक अभियानों के लिए, बल्कि उड्डयन उद्योग के लिए भी नए अवसर प्रदान कर रही है। जैसे-जैसे चुनाव नजदीक आते हैं, इस मांग में और वृद्धि होने की संभावना है, जिससे चुनावी उत्साह के साथ-साथ उड्डयन सेक्टर में भी नई हलचल देखने को मिलेगी।