नई दिल्ली (उपासना): भारतीय इतिहास में जब भी मोस्ट वांटेड अपराधियों की चर्चा होती है, तो डाऊद इब्राहिम का नाम सबसे पहले आता है। दाऊद के विदेश भागने के बाद से ही भारत अन्य 34 अपराधियों को भी तलाश रहा है, जो अब विश्व के 17 देशों में मुंह छिपे बैठे हुए हैं। इन अपराधियों पर हत्या, जबरन वसूली, टारगेट किलिंग, और अन्य गंभीर अपराधों के आरोप हैं।
इन अपराधियों की गतिविधियों ने न केवल भारतीय एजेंसियों के लिए, बल्कि उन देशों के लिए भी चुनौतियाँ पेश की हैं, जहां ये लोग छिपे हुए हैं। भारत ने इंटरपोल के माध्यम से इन व्यक्तियों पर मोटी इनामी राशि और रेड कार्नर नोटिस जारी किया है, जिससे इनकी गिरफ्तारी में मदद मिल सके। गृह मंत्रालय और विदेश मंत्रालय ने इन अपराधियों के प्रत्यर्पण के लिए विभिन्न देशों से बार-बार अनुरोध किए हैं। हालांकि, यह प्रक्रिया जटिल है और अनेक मामलों में अपराधी छुपने के नए तरीके ढूंढ लेते हैं, जिससे उन्हें पकड़ना मुश्किल हो जाता है।
लॉरेंस बिश्नोई गिरोह का गैंगस्टर गोल्डी बराड़ अब भारत के मोस्ट वांटेड अपराधियों की सूची में शामिल हो चुका है। उसके खिलाफ ड्रग्स तस्करी, फिरौती, और आतंकी फंडिंग जैसे संगीन आरोप हैं। उसके अलावा अन्य अपराधी भी हैं, जिन्होंने अपराध के साम्राज्य को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर फैलाया है। इन अपराधियों की विस्तृत सूची और उनके अपराधों का विवरण बताता है कि ये व्यक्ति कितने खतरनाक हैं और इनका प्रभाव कितना व्यापक है। इसके बावजूद, अब तक इनमें से कई को पकड़ा नहीं गया है, और वे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारतीय सुरक्षा एजेंसियों को चुनौती दे रहे हैं।
इस सबके बीच, भारत सरकार इन अपराधियों को वापस लाने के लिए कूटनीतिक और कानूनी प्रयास कर रही है। इस कार्य में अंतरराष्ट्रीय सहयोग की महत्वपूर्ण भूमिका है। भारतीय एजेंसियां उम्मीद कर रही हैं कि जल्द ही ये अपराधी कानून के शिकंजे में होंगे।