नई दिल्ली (नेहा): नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर हुए हादसे में घायल हुए यात्री मदद के लिए इधर-उधर भटक रहे थे, तो दूसरी तरफ घायल दर्द से चीख रहे थे। अपनों को अस्पताल पहुंचाने के लिए स्वजन मददगार ढूंढ रहे थे। लेकिन, आलम यह था कि उन्हें न तो मदद के लिए जवान मिल रहे थे और न ही कहीं एंबुलेंस मिली। ऐसे में कोई पैदल तो कोई निजी वाहनों से अपनों को अस्पताल पहुंचाने की कोशिश में जुटा हुआ था। ये हालात तब थे, जबकि प्रयागराज जाने वाली ट्रेनों को लेकर स्टेशन पर पिछले कुछ दिनों से लगातार भीड़ बढ़ रही थी। लापरवाही का आलम यहां तक था कि भगदड़ से घायल हुए लोगों को अस्पताल ले जाने के लिए भी कोई इंतजाम नहीं थे, जिससे कई लोग समय पर अस्पताल नहीं पहुंच सके। प्रशासन भी तब जागा जब लोकनायक अस्पताल में पहुंचने वाले घायलों में 18 लोगों की मौत की पुष्टि हो गई। हादसे के कारणों को लेकर जुटाई गई जानकारी में सामने आया है कि नई दिल्ली रेलवे स्टेशन से प्रतिदिन शाम को आठ बजे के बाद प्रयागराज के लिए अधिकतर ट्रेनें रवाना होती हैं।
ये ट्रेन प्लेटफार्म नंबर 12 से लेकर प्लेटफार्म नंबर 16 के बीच के सभी प्लेटफार्म पर से रवाना की जाती हैं। शाम आठ बजे से जब ट्रेन जाने का सिलसिला शुरू होता है, इसके पहले से ही प्लेटफार्म पर भीड़ भी बढ़ने लगती है। रेलवे स्टेशन के जानकारों की मानें तो पिछले कुछ दिनों से नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर से प्रयागराज जाने वालों की भीड़ लगातार बढ़ रही है। शनिवार को भी शाम से ही स्टेशन पर भीड़ लगातार बढ़ रही थी मगर वहां पर न तो रेलवे की तरफ से और न ही रेलवे पुलिस की तरफ से सुरक्षा के कोई इंतजाम किए गए थे। इन प्लेटफार्म पर इक्का-दुक्का ही पुलिस वाले नजर आ रहे थे, जबकि जिस तरह से भीड़ वहां बढ़ रही थी तो हर प्लेटफार्म पर कम से कम 30 से 40 पुलिसकर्मी तैनात होने चाहिए थे, वहीं रेलवे के कर्मचारी भी नदारद थे। सवाल यह उठता है कि रेलवे और रेलवे पुलिस को यह जानकारी कैसे नहीं हो सकी कि रेलवे स्टेशन पर अत्यधिक भीड़ हो चुकी है।
लापरवाही का आलम यह भी रहा कि जो लोग इस घटना में घायल हुए थे, उनको अस्पताल पहुंचने में भी काफी देरी हुई, क्योंकि रेलवे स्टेशन पर केवल एक ही एंबुलेंस उपलब्ध थी जबकि इस माहौल में वहां पर एंबुलेंस की संख्या नहीं बढ़ाई गई। कोई घायलों को ऑटो से लेकर अस्पताल भागा तो कोई वहां अपनी सवारी छोड़ने आए लोगों के निजी वाहनों का सहारा लेकर अस्पताल पहुंचा। हैरानी की बात तो यह है कि इतनी बड़ी घटना के बाद भी प्रशासन को कोई खबर तक नहीं थी। प्रशासन की भी नींद तब खुली जब लोकनायक पहुंचे घायलों में 18 लोगों की मौत की पुष्टि हुई। इसके बाद आननफानन में रेलवे स्टेशन पर 50 के करीब एंबुलेंस भेजी गईं। एनडीआरएफ, पुलिस और अन्य एजेंसियां रेलवे स्टेशन पर पहुंचीं। सवाल उठ रहा है कि इंतजाम को पहले क्यों नहीं किए गए? जबकि भीड़ बढ़ रही थी।