नई दिल्ली (राघव): भारत में विदेशी प्रत्यक्ष निवेश (FDI) के इक्विटी प्रवाह में 2023-24 के दौरान 3.49 प्रतिशत की गिरावट आई, जिसकी प्रमुख वजह सेवा, कंप्यूटर हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर, दूरसंचार, ऑटो और फार्मा जैसे क्षेत्रों में निवेश में कमी आना बताया जा रहा है।
बता दें कि पिछले वित्तीय वर्ष 2022-23 में FDI का प्रवाह USD 46.03 बिलियन था।वहीं जनवरी-मार्च 2024 की तिमाही में, हालांकि, FDI प्रवाह में 33.4 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई और यह USD 12.38 बिलियन पहुंच गया, जो पिछले वर्ष की समान अवधि में USD 9.28 बिलियन था।
इस वृद्धि का मुख्य कारण ऊर्जा, स्वास्थ्य सेवा, और नवीनीकरणीय ऊर्जा सेक्टरों में बढ़ती निवेश रुचि को माना जा रहा है। इसके अलावा, इन सेक्टरों में तकनीकी प्रगति और सरकारी नीतियों के अनुकूलन ने भी निवेशकों को आकर्षित किया है।