कोलकाता (हेमा)- भारत और ईरान ने चाबहार बंदरगाह के लिए दस साल के अनुबंध पर साइन किए। इस पर बिना नाम लिए अमेरिका ने साफ शब्दों में कह दिया कि अगर कोई भी तेहरान के साथ व्यापारिक सौदे करने के ले विचार कर रहा है तो उसे संभावित प्रतिबंधों का सामना करना पड़ सकता है। अमेरिका की इस चेतावनी के बाद भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने अपनी प्रतिक्रिया दी है।
विदेश मंत्री जयशंकर ने भी बिना नाम लिए कहा कि लोगों को इसे लेकर संकीर्ण दृष्टिकोर्ण नहीं रखना चाहिए, क्योंकि यह समझौता सभी को लाभ देगा। उन्होंने यह बात गत दिवस कोलकाता में अपनी पुस्तक ‘व्हाई भारत मैटर्स’ के बांग्ला संस्करण के लॉन्च के बाद एक बातचीत में यह बात कही।
अमेरिकी टिप्पणियों के बारे में पूछे जाने पर जयशंकर ने कहा, मैंने कुछ टिप्पणियां देखीं जो की गईं, लेकिन मुझे लगता है कि यह लोगों को संवाद करने, समझाने और यह समझाने का सवाल है कि यह वास्तव में सभी के लाभ के लिए है। मुझे नहीं लगता कि लोगों को इसके बारे में संकीर्ण दृष्टिकोण रखना चाहिए। अगर आप चाबहार में बंदरगाह के प्रति अमेरिका के अपने रवैये को देखें, तो अमेरिका इस तथ्य की सराहना करता रहा है।
विदेश मंत्री ने आगे कहा कि ईरान की तरफ से कई समस्याएं थीं। आखिरकार हम इसे सुलझाने और दीर्घकालिक समझौता करने में सक्षम हुए। यह समझौता महत्वपूर्ण है, क्योंकि इसके बिना आप बंदरगाह संचालन में सुधार नहीं कर सकते। हमें भरोसा है कि इसके संचालन से पूरे क्षेत्र को लाभ होगा
बता दें कि इससे पहले मंगलवार अमेरिका ने चेतावनी दी थी कि तेहरान के साथ व्यापारिक सौदों पर विचार करने वाले “किसी को भी” प्रतिबंधों के संभावित जोखिम के बारे में पता होना चाहिए। अमेरिकी विदेश विभाग के प्रधान उप प्रवक्ता वेदांत पटेल ने प्रेस ब्रीफिंग में कहा था कि मैं बस इतना कहूंगा…ईरान पर अमेरिकी प्रतिबंध लागू रहेंगे और हम उन्हें लागू करना जारी रखेंगे। कोई भी व्यापारिक सौदे पर विचार कर रहा है। ईरान के साथ, उन्हें उन संभावित जोखिमों, प्रतिबंधों के संभावित जोखिम के बारे में जागरूक होने की आवश्यकता है।