ताइपे (नीरू): ताइवान के नए राष्ट्रपति लाई चिंग ते ने 20 मई को पदभार संभाल लिया। उनकी ताजपोशी ऐसे समय में हुई है जब ताइवान को हड़पने के लिए चीन अब तक सबसे ज्यादा उत्सुक नजर आ रहा है। चिंग-ते के राष्ट्रपति बनने से चीन बहुत ज्यादा चिढ़ा हुआ है। बीजिंग की सरकार उन्हें एक अलगाववादी मानती है।
बता दें कि ताइवान के नए राष्ट्रपति के लिए चीन सबसे बड़ी चुनौती है लेकिन उनकी मुश्किल यहीं खत्म नहीं होगी। लाई चिंग-ते को देश के अंदर एक उग्र संसद का सामना करने के लिए भी खुद को तैयार करना होगा, जहां विपक्ष उन्हें चुनौती देने के लिए बेताब है।
लाई चिंग-ते ने सोमवार को राजधानी ताइपे में स्थित राष्ट्रपति कार्यालय में शपथ ली, जहां उन्होंने साई इंग-वेन से पदभार ग्रहण किया। साई ने इसके पहले 8 साल तक चीन की धमकियों के बावजूद देश के आर्थिक और सामाजिक विकास का नेतृत्व किया।
लाई चिंग-ते खुद पिछले चार साल से साई इंग-वेन के उपराष्ट्रपति के रूप में कार्य कर रहे थे। लाई ने 20 मई को अपने उद्घाटन भाषण में चीन से अपनी सैन्य धमकी को बंद करने का आग्रह किया। उन्होंने ताइवान स्ट्रेट (जलडमरूमध्य) के दोनों किनारों पर शांति की मांग की।