नई दिल्ली (नेहा): चुनाव आयोग (EC) ने बुधवार को सुप्रीम कोर्ट (SC) को जानकारी दी कि मतदान केंद्रों के अनुसार मतदाता उपस्थिति का डेटा और उसे वेबसाइट पर पोस्ट करना चुनाव प्रणाली में अराजकता उत्पन्न कर सकता है। इस समय लोकसभा चुनावों के लिए चुनावी कार्यवाही जारी है।
चुनाव पैनल ने यह भी बताया कि फॉर्म 17C, जिसमें मतदान केंद्र पर डाले गए मतों की संख्या दर्ज होती है, उसका सार्वजनिक रूप से पोस्ट करना विधानिक ढांचे में नहीं दिया गया है। इससे चुनावी प्रक्रिया में शरारत और विकृति की संभावनाएं बढ़ सकती हैं। EC ने यह भी कहा कि लोकसभा चुनावों के पहले दो चरणों में “5-6 प्रतिशत” मतदाता उपस्थिति में वृद्धि का आरोप निराधार और भ्रामक है। यह वृद्धि मतदान के दिन और उसके बाद जारी प्रेस विज्ञप्तियों में बताई गई थी।
EC ने इस बात पर जोर दिया कि ऐसे डेटा का अनियंत्रित प्रकाशन न केवल चुनावी प्रणाली को बाधित कर सकता है, बल्कि मतदाताओं में भ्रम और अनिश्चितता का भी कारण बन सकता है। ऐसे में, चुनावी आंकड़ों की सुरक्षा और सही तरीके से संचालन सुनिश्चित करना अत्यंत आवश्यक है।
आगे बढ़ते हुए, EC ने संकेत दिया है कि वह इस मुद्दे पर निगरानी और नियंत्रण के लिए उचित कदम उठाएगा। यह सुनिश्चित किया जाएगा कि चुनावी डेटा का प्रकाशन केवल आवश्यक और विधानसभावधान से किया जाए, ताकि चुनावी प्रक्रिया की पवित्रता बनी रहे।