नई दिल्ली (राघव): कनाडा की एक संसदीय समिति की रिपोर्ट भारत के साथ रिश्तों में और तनाव पैदा कर सकती है। इस रिपोर्ट में कहा गया है कि कनाडा के लोकतंत्र के लिए भारत दूसरा सबसे बड़ा खतरा है और पहला खतरा चीन है।
खालिस्तान के मसले पर भारत के साथ बीते साल से ही भारत और कनाडा के बीच रिश्ते बिगड़े हुए हैं। इस बीच कनाडा की एक संसदीय समिति की रिपोर्ट इन रिश्तों में और तनाव पैदा कर सकती है। इस रिपोर्ट में कहा गया है कि कनाडा के लोकतंत्र के लिए भारत दूसरा सबसे बड़ा खतरा है। पहला खतरा चीन है। वहीं राष्ट्रपति जस्टिन ट्रूडो ने कहा कि वह विदेशी दखल के मामले को गंभीरता से ले रहे हैं। नेशनल सिक्योरिटी एंड इंटेलिजेंस कमेटी ऑफ पार्लियामेंटेरियन की रिपोर्ट में यह बात कही गई है। इस पैनल में कनाडा के सभी दलों के सांसद शामिल थे और सुरक्षा अधिकारी भी रहते हैं।
बता दें कि कनाडा और भारत के रिश्ते पिछले साल तब बिगड़ गए थे, जब राष्ट्रपति जस्टिन ट्रूडो ने खालिस्तानी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या में भारत का हाथ बताया था। इसे भारत ने बेहूदा और आधारहीन आरोप बताते हुए खारिज किया था और कनाडा से सबूत की मांग की थी। अब तक कनाडा ने इस मामले में कोई सबूत नहीं दिया है। हालांकि पिछले दिनों कनाडा में 4 लोगों को इस मामले में अरेस्ट किया गया था, जो पंजाबी मूल के ही हैं। कनाडा के पैनल की जिस रिपोर्ट में भारत को दूसरा खतरा बताया गया है, वह मई में ही आ गई थी। लेकिन इसी सप्ताह इसे संसद में पेश किया गया।
वहीं इस रिपोर्ट में चीन को सीधे तौर पर कनाडा के लोकतंत्र के लिए खतरा बताया गया है और दखल देने वाला देश माना गया है। रिपोर्ट में कहा गया, ‘चीनी कम्युनिस्ट पार्टी का घरेलू तौर पर और विदेश में वर्चस्व स्थापित करने के लिए चीन की ओर से कनाडा के लोकतंत्र में दखल दिया जाता है। उसे टारगेट किया जाता है। अपने रणनीतिक हितों को साधने के लिए भी चीन ऐसा करता है।’ इसके आगे भारत को लेकर रिपोर्ट कहती है, ‘भारत की ओर से कनाडा के लोकतंत्र और संस्थानों में दखल के प्रयास होते हैं। वह दूसरा सबसे बड़ा खतरा है। भारत का विदेशी दखल धीरे-धीरे बढ़ रहा है।’
कनाडा के पैनल की इल 84 पेजों की रिपोर्ट में भारत का जिक्र 44 बार हुआ है। कनाडा की लोकतांत्रिक प्रक्रिया और संस्थानों में दखल, नेताओं को टारगेट करने और समुदायों को निशाना बनाने को इस रिपोर्ट का आधार बनाया गया है।’ अब तक भारत की ओर से कनाडा की इस रिपोर्ट पर कोई टिप्पणी नहीं की गई है। इससे पहले कनाडा सरकार के अधिकारियों ने भी ऐसे आरोप लगाए थे, जिन्हें भारत ने खारिज कर दिया था।