सोफिया (बुल्गारिया) (हरमीत): बुल्गारिया के एक वरिष्ठ सांसद और पूर्व विदेश मंत्री के अनुसार, यूरोपीय संघ (ईयू) को भारत के साथ जोड़ने वाले पहले सदस्य देश के रूप में बुल्गारिया की भौगोलिक स्थिति, उसे 27 सदस्यीय समूह के साथ घनिष्ठ संबंधों को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने का अतिरिक्त लाभ प्रदान करती है।
बुल्गारिया सोशलिस्ट पार्टी (बीएसपी) के उपाध्यक्ष और बुल्गारिया-भारत मित्रता समूह के अध्यक्ष क्रिस्टियन विगेनिन इस सप्ताह के अंत में ईयू के चुनाव परिणाम आधिकारिक रूप से घोषित होने के बाद यूरोपीय संसद के नवनिर्वाचित सदस्यों में शामिल हो सकते हैं। बुल्गारिया की नेशनल असेंबली के उपाध्यक्ष ने कहा कि अपनी भावी भूमिका में वह भारत-यूरोपीय संघ संसदीय सहयोग को बढ़ावा देना चाहते हैं, जो कोविड महामारी और रूस-यूक्रेन संघर्ष के कारण ‘प्रणाली में तनाव’ के कारण धीमा पड़ गया।
विगेनिन ने कहा, ‘‘हालांकि भारत और बुल्गारिया के आकार की तुलना नहीं की जा सकती, लेकिन मेरा मानना है कि यूरोपीय संघ के एक देश के रूप में हमें यूरोपीय संघ-भारत संबंधों को बढ़ावा देने के लिए और अधिक काम करने की जरूरत है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘अगर आप देखें कि भारत (मानचित्र पर) कहां है, तो बुल्गारिया यूरोपीय संघ के द्वार पर है। इसलिए, आर्थिक और व्यापार गलियारों से जुड़ी परियोजनाएं मूल रूप से बुल्गारिया से होकर गुजरती हैं, जिससे हम भारत के लिए यूरोपीय संघ का पहला देश बन जाते हैं। इस दृष्टिकोण से, मुझे लगता है कि हम अधिक महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं।’’
राजनीतिक मोर्चे पर उनका मानना है कि बुल्गारिया में अन्य वैश्विक शक्तियों की तुलना में भारत से अधिक समानताएं हैं। उन्होंने कहा, ‘‘मेरा मानना है कि भारत न केवल अपना आर्थिक प्रभाव बढ़ा रहा है, बल्कि दुनिया में अपनी राजनीतिक, विदेश नीति संबंधी और भू-राजनीतिक भूमिका भी बढ़ा रहा है। और इस दृष्टिकोण से, मैं यूरोपीय संघ और भारत के बीच बेहतर समन्वय, बेहतर संचार देखना चाहूंगा।’’ आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, यूरोपीय संघ 2021 में भारत का तीसरा सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार और दूसरा सबसे बड़ा निर्यात गंतव्य था। दोनों पक्ष पिछले कुछ वर्ष से मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) पर बातचीत कर रहे हैं, जिससे व्यापार और निवेश साझेदारी को बढ़ाने की उम्मीद है।
रविवार को यूरोपीय संघ के सदस्य देशों में दुनिया के सबसे बड़े चुनावों में से एक के संपन्न होने के बाद यूरोपीय संसद का अंतिम स्वरूप अभी पूरी तरह से तैयार नहीं हुआ है। ये चुनाव भारत में दुनिया की सबसे बड़ी लोकतांत्रिक कवायद के बाद दूसरे बड़े चुनाव हैं।